जल्द दूर होगी डेंटल चिकित्सकों की कमी: स्वास्थ्य मंत्री
रांची। स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि राज्य में डेंटल चिकित्सकों की कमी होगी शीघ्र दूर की जाएगी। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक डेंटल सेंटर शुरू करने के प्रयासों को सराहा। डेंटल सेंटरों में उपकरणों की सुविधा सुनिश्चित करने की बात कही। वह सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित स्टेट नोडल आफिसर्स के रिजनल रिव्यू मिटिंग सह कार्यशाला में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (एनओएचपी) के तहत किया गया था। इसमें झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंड़ीगढ़ और दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल हुए। श्री चंद्रवंशी ने कहा कि तंबाकू, कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। झारखंड में भी डेंटल कॉलेज शुरू किये जा रहे हैं। सरकार डेंटल चिकित्सकों की नियुक्ति कर रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के उप सचिव जिले सिंह ने कहा कि नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (एनओएचपी) की शुरूआत 2014 में नौ राज्यों से हुई थी। तीन सालों में यह 33 राज्यों में चल रहा है। अगले वित्तीय वर्ष तक कार्यक्रम पूरे देश में शुरू करने का लक्ष्य है। योजना के तहत सभी जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डेंटल केयर यूनिट शुरू किये जायेंगे। स्कूल षिक्षक और पारा मेडिकल स्टाफ के लिए ट्रेनिंग माड्युल डेवलप किया जायेगा। इसे मार्च के अंत तक लांच किये जाने की उम्मीद है।
चीफ मेडिकल ऑफिसर (क्मजळभ्ै) डॉ एल स्वास्तिचरण ने नैशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम पर विस्तृत जानकारी दी। अभियान निदेशक (एनएचएम) कृपानंद झा ने कहा कि इस क्षेत्र में काफी डाइमेंशन है, इसलिए यह केवल डेंटल से जुड़ा नहीं है। नेशनल कम्युनिकेशल डिसिजेज (एनसीडी) कार्यक्रमों में जैसे कैंसर को शामिल किया गया है। यानी ओरल हेल्थ को एनसीडी कार्यक्रमों से जोड़ दिया गया है। श्री झा ने बताया कि डेंटल हेल्थ में फूड हेबिड्स, टोबैको कंजप्शन की बात की जाती है। झारखंड में अधिकांश लोगों में ब्रशिंग हेबिट थोड़ी पुअर है। कई लोग ब्रश का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पीआईपी में हर बिंदु को समाहित किया जाना चाहिए। बिहेबिरियल चेंज और आईईसी को ज्यादा से ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए। झारखंड में ओरल हेल्थ पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। अब 24 जिलों में ओरल हेल्थ का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। चिकित्सकों को नियुक्त किया गया है। अब हमारा लक्ष्य है कि इसे कैसे स्ट्रेंथेंन करें। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में सीएचसी और पीएचसी लेवल तक रॉल आउट करने की योजना है।
कार्यशाला में एनओआईपी के अंतर्गत आनेवाले वित्तीय मुद्दों पर चर्चा की गयी। एनएचएम के फाइनेंस कंट्रोलर सुमंता कार ने अपने विचार रखे। एनओआईपी के तहत पीआइपी प्रोसेस की जानकारी एनओएचपी की नेशनल कंसलटेंट डॉ आकृति मेहता ने दी। कार्यक्रम में निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवायें डॉ सुमंत मिश्र, एनसीडी सेल इंचार्ज एलआर पाठक और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय के उप सचिव जिले सिंह ने कहा कि नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (एनओएचपी) की शुरूआत 2014 में नौ राज्यों से हुई थी। तीन सालों में यह 33 राज्यों में चल रहा है। अगले वित्तीय वर्ष तक कार्यक्रम पूरे देश में शुरू करने का लक्ष्य है। योजना के तहत सभी जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डेंटल केयर यूनिट शुरू किये जायेंगे। स्कूल षिक्षक और पारा मेडिकल स्टाफ के लिए ट्रेनिंग माड्युल डेवलप किया जायेगा। इसे मार्च के अंत तक लांच किये जाने की उम्मीद है।
चीफ मेडिकल ऑफिसर (क्मजळभ्ै) डॉ एल स्वास्तिचरण ने नैशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम पर विस्तृत जानकारी दी। अभियान निदेशक (एनएचएम) कृपानंद झा ने कहा कि इस क्षेत्र में काफी डाइमेंशन है, इसलिए यह केवल डेंटल से जुड़ा नहीं है। नेशनल कम्युनिकेशल डिसिजेज (एनसीडी) कार्यक्रमों में जैसे कैंसर को शामिल किया गया है। यानी ओरल हेल्थ को एनसीडी कार्यक्रमों से जोड़ दिया गया है। श्री झा ने बताया कि डेंटल हेल्थ में फूड हेबिड्स, टोबैको कंजप्शन की बात की जाती है। झारखंड में अधिकांश लोगों में ब्रशिंग हेबिट थोड़ी पुअर है। कई लोग ब्रश का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पीआईपी में हर बिंदु को समाहित किया जाना चाहिए। बिहेबिरियल चेंज और आईईसी को ज्यादा से ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए। झारखंड में ओरल हेल्थ पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। अब 24 जिलों में ओरल हेल्थ का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। चिकित्सकों को नियुक्त किया गया है। अब हमारा लक्ष्य है कि इसे कैसे स्ट्रेंथेंन करें। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में सीएचसी और पीएचसी लेवल तक रॉल आउट करने की योजना है।
कार्यशाला में एनओआईपी के अंतर्गत आनेवाले वित्तीय मुद्दों पर चर्चा की गयी। एनएचएम के फाइनेंस कंट्रोलर सुमंता कार ने अपने विचार रखे। एनओआईपी के तहत पीआइपी प्रोसेस की जानकारी एनओएचपी की नेशनल कंसलटेंट डॉ आकृति मेहता ने दी। कार्यक्रम में निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवायें डॉ सुमंत मिश्र, एनसीडी सेल इंचार्ज एलआर पाठक और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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