श्रीमद् भागवत कथा में उतारी गई सामूहिक आरती
रांची। राजधानी के लालपुर चौक
स्थित पटेल समाज भवन में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में 101 दीपक की आरती सामूहिक
रूप से उतारी गई। कथा के छठवें दिन भागवत वक्ता उमेश भाई जानी ने बताया कि श्री
कृष्ण की प्रत्येक लीला में ज्ञान छुपा है। एक अवगुण हमारे सभी गुणों का नाश कर
देता है। श्री कृष्ण ने समाज को जागृत किया। अनेक कुप्रथाएं तोड़ी। गाय को सज्जन
बताते हुए बताया कि गाय घांस खाती है। दूध देती है, जबकि सांप को दूध पिलाने पर विष मिलता है।
परमात्मा ने धन दिया है तो उसका सदुपयोग
करें। समाज और जरूरतमंदों में बांटे। यदि हम ऐसा नहीं करते तो अगले जन्म में
दरिद्र बनेंगे। उमेश भाई ने रांची वासियों से अपील की कि यदि घर के किसी सदस्य का
जन्मदिन, सालगिरह या पितृओं की पुण्यतिथि हो तो उस दिन वृक्षारोपण करे। गौशाला जाए। सरकारी अस्पताल में रोगियों को फल, दूध बांटे। किसी गरीब बच्चे की फीस भर दे। ऐसे ही मानवता से जुड़े
काम करें तो परमात्मा की विशेष कृपा आपके परिवार पर होगी। यही भागवत है।
निर्जला व्रत को अपने शब्दों में
परिभाषित करते हुए उन्होंने बताया कि निर्जला व्रत का अर्थ है जल के बिना। यदि
पूरे दिन हमारी वाणी या कर्म से किसी की आंख में पानी न आएं तो यही निर्जला व्रत
है। यह प्रतिदिन करने जैसा है। रासलीला अर्थात् एक रस वाली भक्ति। हम एक 50 रुपये का मटका भी लेते
हैं तो भी बराबर निरीक्षण कर के लेते हैं। वैसे ही परमात्मा भी हमारी परीक्षा
बराबर लेते हैं। जीवन में राधा (भक्ति) बहुत जरूरी है जब हम राधा (भक्ति) से दूर
होते हैं, तब हमारे से
अपराध होता है।
गोपी गीत के माध्यम से गोपियों ने
श्री कृष्ण को याद किया। अपने जरूरी काम छोड़कर गोपियां आयी। हम अपना जरूरी समय
निकालकर मानव सेवा या प्रभु सेवा करें। ऐसे में जब हमें प्रभु की जरूरत होगी तो वह
भी हमारे लिए समय निकालकर आएंगे। श्री कृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग पर सुंदर मंडप
लगाया गया। बाजते गाते नृत्य करते श्री कृष्ण सुन्दर बारात आयी। रुक्मणि ने श्री
कृष्ण संग सात फेरे लिए। मंडप में विवाह विधि देख श्रोतागण बहुत रोमांचित हुए।
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