विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए ''स्टडी इन इंडिया'' पोर्टल की पहल शुरू
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारत की शिक्षा के श्रेष्ठ स्थल के तौर पर ब्रांडिंग
करने की पहल करते हुए आज 'स्टडी इन इंडिया' पहल शुरू की। इस पहल में
आईआईटी, आईआईएम समेत 160 शैक्षणिक संस्थान एवं विश्वविद्यालय शामिल हुए
हैं।
इस कार्यक्रम के तहत आज ‘स्टडी इन इंडिया' का एक वेब पोर्टल पेश किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह मौजूद थे।
इसमें ई सदन, राष्ट्रीय अकादमिक निक्षेपागार और स्टडी इन इंडिया को एक साथ जोड़ा गया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने समारोह में वीडियो के माध्यम से शामिल होते हुए कहा कि नालंदा और तक्षशिला के काल से ही भारत दुनिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है।
अब एक बार फिर भारत शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है जब देश में 40 हजार से अधिक कालेज और 800 से अधिक विश्वविद्यालय है। देश की शीर्ष शैक्षिक संस्थाओं को स्वायत्ता दी गई है।उन्होंने कहा कि आज ‘स्टडी आफ इंडिया' कार्यक्रम के शुरू होने से भारत की शीर्ष शैक्षणिक संस्थाओं के द्वार विदेशी छात्रों के लिये खुल गए हैं। उन्होंने इसके लिये विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभार व्यक्त किया।जावड़ेकर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं को वृहद स्वायत्ता देने से इन संस्थाओं को अपने कार्यक्रमों को बेहतर बनाने, नये कार्यक्रम शुरू करने और संस्थान का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
वे आसानी से 20 प्रतिशत तक विदेशी छात्रों एवं शिक्षकों को ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से एशिया, पश्चिम एशिया, अफ्रीकी एवं सीआईएस देशों पर ध्यान दिया जायेगा।
स्टडी इन इंडिया नाम से वेबपोर्टल भारत में पढ़ने के इच्छुक विदेशी छात्रों के लिए सिंगल ¨विंडो का काम करेगा। इसके जरिए छात्र भारत के विभिन्न संस्थानों की जानकारी हासिल कर पाएंगे और सीधा आवेदन भी कर सकेंगे।
भारत सरकार का पोर्टल होने के नाते इसकी विश्वसनीयता भी होगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि देश से 5 लाख से अधिक छात्र विदेश पढ़ने जाते हैं, वहीं हमारे यहां मात्र 45 हजार विदेशी छात्र आते हैं। इसमें भी ज्यादातर वे छात्र होते हैं, जिन्हें वजीफा मिलता है जबकि, अन्य विकसित देशों के मुकाबले हमारी शिक्षा काफी सस्ती और बेहतर है। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि व्यापक प्रमोशन से हमारे यहां के छात्रों की संख्या में इजाफा होगा।
इस तरह की पहल ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा जैसे देशों में पहले से है। मंत्रालय का ध्यान फिलहाल 30 देशों पर हैं, जो दक्षेस, पश्चिमी एशिया, पूर्वी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप से आते हैं।इन देशों में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों पर एक-एक स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम का प्रतिनिधि भी नियुक्त किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के तहत आज ‘स्टडी इन इंडिया' का एक वेब पोर्टल पेश किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह मौजूद थे।
इसमें ई सदन, राष्ट्रीय अकादमिक निक्षेपागार और स्टडी इन इंडिया को एक साथ जोड़ा गया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने समारोह में वीडियो के माध्यम से शामिल होते हुए कहा कि नालंदा और तक्षशिला के काल से ही भारत दुनिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है।
अब एक बार फिर भारत शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है जब देश में 40 हजार से अधिक कालेज और 800 से अधिक विश्वविद्यालय है। देश की शीर्ष शैक्षिक संस्थाओं को स्वायत्ता दी गई है।उन्होंने कहा कि आज ‘स्टडी आफ इंडिया' कार्यक्रम के शुरू होने से भारत की शीर्ष शैक्षणिक संस्थाओं के द्वार विदेशी छात्रों के लिये खुल गए हैं। उन्होंने इसके लिये विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभार व्यक्त किया।जावड़ेकर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं को वृहद स्वायत्ता देने से इन संस्थाओं को अपने कार्यक्रमों को बेहतर बनाने, नये कार्यक्रम शुरू करने और संस्थान का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
वे आसानी से 20 प्रतिशत तक विदेशी छात्रों एवं शिक्षकों को ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से एशिया, पश्चिम एशिया, अफ्रीकी एवं सीआईएस देशों पर ध्यान दिया जायेगा।
स्टडी इन इंडिया नाम से वेबपोर्टल भारत में पढ़ने के इच्छुक विदेशी छात्रों के लिए सिंगल ¨विंडो का काम करेगा। इसके जरिए छात्र भारत के विभिन्न संस्थानों की जानकारी हासिल कर पाएंगे और सीधा आवेदन भी कर सकेंगे।
भारत सरकार का पोर्टल होने के नाते इसकी विश्वसनीयता भी होगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि देश से 5 लाख से अधिक छात्र विदेश पढ़ने जाते हैं, वहीं हमारे यहां मात्र 45 हजार विदेशी छात्र आते हैं। इसमें भी ज्यादातर वे छात्र होते हैं, जिन्हें वजीफा मिलता है जबकि, अन्य विकसित देशों के मुकाबले हमारी शिक्षा काफी सस्ती और बेहतर है। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि व्यापक प्रमोशन से हमारे यहां के छात्रों की संख्या में इजाफा होगा।
इस तरह की पहल ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा जैसे देशों में पहले से है। मंत्रालय का ध्यान फिलहाल 30 देशों पर हैं, जो दक्षेस, पश्चिमी एशिया, पूर्वी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप से आते हैं।इन देशों में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों पर एक-एक स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम का प्रतिनिधि भी नियुक्त किया जाएगा।
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