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पशु स्वास्थ्य कर्मी को बीएयू प्रशिक्षण देगा


  • पशु स्वास्थ्य कर्मियों के दस दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण की शुरुआत
रांची। झारखंड में कृषि और पशुपालन आधारित अर्थव्यवस्था सदियों से चली आ रही है। आज भी यहां की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र तक तकनीकी प्रसार का मजबूत नेटवर्क स्थापित नहीं होने के कारण ग्रामीण आबादी को पशुपालन व्यवसाय के संबंधित तकनीकी प्रसार का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। गैर सरकारी संस्थानों, स्वयं सेवी संगठन तथा सोसाइटी की सहभागिता से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक पशुपालन व्यवसाय को आय का वैकल्पिक साधन के रूप में विकसित किया जा सकता है। 

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय इस ओर लगातार प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में झारखंड ट्राइबल इम्पावरमेंट एंड लाइवलीहुड प्रोजेक्ट (जेटीइएलपी) के सौजन्य से 210 पशु स्वास्थ्य कर्मी, पशु सखी और पशु मित्रों के लिए सात आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। उक्त बातें कुलपति बीएयू सह प्रभारी अधिष्ठाता (पशुचिकित्सा) डॉ परविन्दर कौशल ने पशु स्वास्थ्य कर्मियों के दस दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण की शुरुआत करते हुए कही।

प्रशिक्षण कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ आलोक कुमार पाण्डेय होंगे। डॉ पाण्डेय ने बताया कि इस पहले दस दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के 30 पशु स्वास्थ्य कर्मी भाग ले रहे हैं। इन प्रतिभागियों को पशुचिकित्सा संकाय के वैज्ञानिक दल के द्वारा सूकर पालन, बकरी पालन और कुक्कुट पालन से संबंधित तकनीकों और प्रबंधन के व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी दी जाएगी। सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम पशुचिकित्सा संकाय स्थित सूकर प्रक्षेत्र, बकरी प्रक्षेत्र तथा कुक्कुट प्रक्षेत्र में आयोजित होंगे।

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