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विदेशी छात्रों को 160 संस्थानों में पढ़ाई का मौका, ‘स्टडी इन इंडिया’ योजना की शुरुआत

 नई दिल्ली। स्टडी इन इंडिया एक आह्वान और आमंत्रण है। इसका मतलब आओ भारत में पढ़ो है। इस योजना में विदेशी छात्रों को उच्च शिक्षा में गुणवत्ता व सस्ती शिक्षा देने के लिए भारत द्वारा न्योता दिया जा रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए यह बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय सरकारी समझौते के बंधन में छह हजार सीटों पर ही विदेशी छात्रों को स्कालरशिप के लिए बुलाता है, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय बंधन मुक्त होकर उच्च शिक्षा का सपना पूरा करने का न्यौता दे रहा है।

30 देशों के प्रतिनिधि पहुंचे
इंडिया हेबिटेट सेंटर में बुधवार शाम स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम का आगाज हुआ। जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री सुषमा ने कहा कि भारत ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा व्यवस्था को विदेशी छात्रों के लिए खोल दिया है। मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह ने कहा कि पुणे और दिल्ली के साथ भारत पूर्व का ऑक्सफोर्ड बनेगा।

उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम के मुताबिक, फीस में तीन वर्ग बनाए गए हैं। 25 फीसदी छात्रों की पचास फीसदी, अन्य 25 की 75 फीसदी फीस माफ होगी। योजना में सहयोग कर रहे एडसिल के चेयरमैन दीप्तिमान दास के मुताबिक, अगले पांच साल में विदेशी छात्रों की संख्या दो लाख रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। 

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि, भारत एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया का प्रतिनिधित्व करेगा। नालंदा व तक्षशिला में विदेशी छात्र आते थे, लेकिन उसके बाद भारतीय छात्रों ने अमेरिका और आस्ट्रेलिया की राह थामी। इस योजना में छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, फार्मेसी, आर्किटेक्चर, जनरल स्ट्रीम में दाखिले संग रिसर्च व इंनोवेशन का मौका मिलेगा। इस योजना में एशियन, आसियान, अफ्रिकन , मिडिल ईस्ट देशों के छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा।

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