दुनिया पर कर्ज बढ़कर 164 लाख करोड़ डॉलर हुआ, IMF ने दिया वैश्विक मंदी के संकेत
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट से एक
बार फिर वैश्विक मंदी के संकेत मिल रहे हैं। आईएमएफ ने कहा है कि दुनियाभर
के देशों पर कर्ज का बोझ बढ़कर रिकॉर्ड 164 लाख करोड़ डॉलर (10,660 लाख
करोड़ रुपए) हो गया है। इसकी वजह वैश्विक सार्वजनिक और निजी कर्ज में
रिकॉर्ड इजाफा बताया जा रहा है। ऐसे में अगर मंदी का दौर आता है, तो इसका
सामना करना मुश्किल हो जाएगा। आईएमएफ ने अपनी फिस्कल मॉनिटर रिपोर्ट में
कहा है कि ये कर्ज ग्लोबल जीडीपी के 225% तक पहुंच चुका है। इससे पहले
वैश्विक कर्ज 2009 में अपने उच्च पर था। पिछले साल भारत का कर्ज उसके
जीडीपी का 70.2%, जबकि चीन का 47.8 % रहा था।
बढ़ता कर्ज इकोनॉमी के लिए खतरा
कर्ज का बोझ बढ़ने से वर्ल्ड इकोनॉमी के लिए आईएमएफ के आउटलुक पर भी असर पड़ने की आशंका है। मंगलवार को आईएमएफ ने 2018 और 2019 में दुनिया की इकोनॉमी 3.9 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई थी। ये भी कहा था कि आने वाले सालों में मॉनिटरी पॉलिसी में सख्ती भी दुनिया की इकोनॉमी पर असर डाल सकती है। आईएमएफ के मुताबिक, चीन में प्राइवेट सेक्टर के बढ़ते कर्ज से हालात गंभीर हो रहे हैं। वर्ल्ड इकोमॉमी पिछली बार की मंदी से अभी तक पूरी तरह उबर भी नहीं पाई है।
ग्रोथ पर नेगेटिव असर की आशंका
ग्रोथ में तेजी के लिए देश ज्यादा खर्च कर रहे हैं, जबकि केंद्रीय बैंक वित्तीय हालातों में सुधार के लिए गैर-परंपरागत तरीके अपना रहे हैं। बढ़े हुए कर्ज का बोझ खर्च करने की क्षमता और ग्रोथ पर नकारात्मक असर डाल सकता है।आईएमएफ ने सलाह दी है कि वित्तीय हालातों में सुधार के लिए निर्णायक फैसले लेने चाहिए, ताकि देश मुश्किल हालात का सामना कर पाएं। अमेरिका से खास तौर से अपील की है क्योंकि 2020 तक अमेरिका का बजट घाटा एक लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंचने की आशंका है।
कर्ज और जीडीपी के अनुपात के मामले में सबसे ऊपर जापान
कई देशों का कर्ज भार उनकी जीडीपी से ज्यादा हो चुका है। वहीं, दुनिया के एक चौथाई विकसित देशों का कर्ज जीडीपी से 85% ऊपर है। ऐसे देशों की संख्या साल 2000 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हो गई है।
जीडीपी की तुलना में कर्ज
वहीं, मध्य आय वाले देशों का कर्ज उनकी जीडीपी के 70% तक पहुंच गया है।
बढ़ता कर्ज इकोनॉमी के लिए खतरा
कर्ज का बोझ बढ़ने से वर्ल्ड इकोनॉमी के लिए आईएमएफ के आउटलुक पर भी असर पड़ने की आशंका है। मंगलवार को आईएमएफ ने 2018 और 2019 में दुनिया की इकोनॉमी 3.9 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई थी। ये भी कहा था कि आने वाले सालों में मॉनिटरी पॉलिसी में सख्ती भी दुनिया की इकोनॉमी पर असर डाल सकती है। आईएमएफ के मुताबिक, चीन में प्राइवेट सेक्टर के बढ़ते कर्ज से हालात गंभीर हो रहे हैं। वर्ल्ड इकोमॉमी पिछली बार की मंदी से अभी तक पूरी तरह उबर भी नहीं पाई है।
ग्रोथ पर नेगेटिव असर की आशंका
ग्रोथ में तेजी के लिए देश ज्यादा खर्च कर रहे हैं, जबकि केंद्रीय बैंक वित्तीय हालातों में सुधार के लिए गैर-परंपरागत तरीके अपना रहे हैं। बढ़े हुए कर्ज का बोझ खर्च करने की क्षमता और ग्रोथ पर नकारात्मक असर डाल सकता है।आईएमएफ ने सलाह दी है कि वित्तीय हालातों में सुधार के लिए निर्णायक फैसले लेने चाहिए, ताकि देश मुश्किल हालात का सामना कर पाएं। अमेरिका से खास तौर से अपील की है क्योंकि 2020 तक अमेरिका का बजट घाटा एक लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंचने की आशंका है।
कर्ज और जीडीपी के अनुपात के मामले में सबसे ऊपर जापान
कई देशों का कर्ज भार उनकी जीडीपी से ज्यादा हो चुका है। वहीं, दुनिया के एक चौथाई विकसित देशों का कर्ज जीडीपी से 85% ऊपर है। ऐसे देशों की संख्या साल 2000 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हो गई है।
देश | कर्ज का बोझ |
जापान | जीडीपी का 236% |
इटली | जीडीपी का 132% |
अमेरिका | जीडीपी का 108% |
जीडीपी की तुलना में कर्ज
वहीं, मध्य आय वाले देशों का कर्ज उनकी जीडीपी के 70% तक पहुंच गया है।
देश | कर्ज का बोझ |
ब्राजील | जीडीपी का 84% |
भारत | जीडीपी का 70.2% |
चीन | जीडीपी का 47.8% |
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