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UGC ने विवि शिक्षकों को दी राहत, जर्नल्स के लेख को नौकरी-प्रमोशन में तरजीह

  • 2 मई से पूर्व 4305 जर्नल में छपे लेख के मिलेंगे प्वाइंट्स : यूजीसी
नई दिल्ली। विविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सम्बद्ध देश भर के विविद्यालयों में शिक्षकों को नौकरी और प्रमोशन में अब उनके जर्नल्स (पत्रिकाओं) के लेख को तरजीह मिलेगी, जिन्हें हाल में ही सूची से हटा दिया गया था। इस संबंध में विरोध व शिक्षकों की नौकरी को देखते हुए यूजीसी ने यह फैसला लिया है। यूजीसी ने करीब 4305 जर्नल्स को अपनी सूची से हटा दिया है।
उसका कहना है कि यह जर्नल अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं और उनके मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। ऐसे में नौकरी व प्रमोशन के लिए इन जर्नल में छपे लेख के आधार पर जिन शिक्षकों को एकेडमिक परफॉम्रेस इंडिकेटर्स (एपीआई) स्कोर मिलते, उससे वे वंचित हो गये थे। इसको लेकर विरोध के क्रम में यूजीसी ने एक नया फैसला लिया है। यूजीसी ने कहा कि जिन 4305 जर्नल्स को हटा गया है, उनमें 2 मई 2018 से पहले किसी भी शिक्षक का लेख छपा है तो उन्हें नौकरी व प्रमोशन में प्वाइंट्स हासिल होंगे। बता दे कि डीयू में बीते महीने से शिक्षकों की नौकरियों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में यूजीसी द्वारा हटाये गये जर्नल्स से कई शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई थी।

 यूजीसी ने यह भी फैसला लिया है कि जर्नल की सिफारिश के लिए साल में एक बार रिकमेंडेशन पोर्टल को खोला जाएगा, जिसमें विविद्यालय जर्नल की सिफारिश कर सकेंगे। यूजीसी इन जर्नल की समीक्षा कर इसे स्वीकृति प्रदान करेगी। इस मामले में पूर्व विद्वत परिषद सदस्य डॉ राजीव कुमार वर्मा का कहना है कि 4305 जर्नल को स्वीकृत सूची में फिर से शामिल किये जाने चाहिए। उनमें से केवल उनको हटाना चाहिए जो जाली है, जिनका अपनी कोई वेबसाइट नहीं है।

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