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सड़क का गार्डवाल ढहा, डीसी ने साधी चुप्पी

लोहरदगा। सड़क का गार्डवाल ढह गया। सवाल पूछनेे पर उपायुक्त ने चुप्पी साध ली। पेशरार प्रखंड को लोहरदगा मुख्यालय से जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर बनाये गए तीन गार्डवाल ढह गए। इसे बनाने में आरसीसी के बजाय घटिया अन्साइज पत्थर और औसत से अधिक बालू और सीमेंट के मसाला का उपयोग किया जा रहा है। फॉरेस्ट एरिया से बालू और पत्थर की चोरी हो रही है।

बताते चले कि पेशरार एक्शन प्लान के तहत पेशरार के केकरांग मेंं सड़क निर्माण पूरा होने वाला है। बारिश की पहली बूंद से ही नवनिर्मित गार्डवाल गिरने के साथ उसमें दरार आ गया है। 78 करोड़ की लागत से सड़क बना रही है। शिवालिया कन्स्ट्रक्शन कंपनी इसे बना रही है। गार्डवाल ढहने से निर्माण कार्य में गुणवत्ता की पोल खुल गई। बताया जाता है कि काम पेटी कांट्रेक्टर से कराया जा रहा है। आनन फानन में ढहे गार्डवाल की मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया गया है।
लोहरदगा का पेशरार प्रखंड नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है। अब जिला मुख्यालय से जोड़ने का काम किया जा रहा है। यह अनियमितता के साथ किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि इसका अभी इसका यह हाल है, तब भविष्य की स्थिति स्वतः समझी जा सकती है। समय रहते इसे नहीं ठीक कराया गया का तो हालत.बद से बदतर हो जाएगी। कंपनी द्वारा जैसे तैसे मिस्त्री लगाकर कार्य कराया जा रहा है। सरकार द्वारा अप्रूवल भी नहीं लिया गया है।

उपायुक्त बिनोद कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग से संपर्क करें। लगभग हर मामले में उनका यही जवाब होता है। शिकायतकर्ता कहते हैं कि ऐसे में क्या किया जाए। पेशरार एक्शन प्लान के तहत शिवलिया कंपनी द्वारा सड़क निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग के कारण तीन गार्डवाल बरसात के शुरुआती क्षण में ही बह गये। डीसी कार्रवाई
करने के बजाय इधर उधर भेज कर टालमटोल करने की कोशिश करते हैं। कोल डम्पिंग मामले में लोगोंं के ज्ञापन पर भी कोई कार्रवाई नहींं की गई। ज्ञापन देने वालों का कहना है कि उनका चुप्पी साध लेना शायद किसी मजबूरी को इंगित करता है। लोगों का कहना है कि जिले के सबसे बड़े अधिकारी उपायुक्त होते है। समस्याओं पर उनका टालू रवैया होता है। ऐसे में वे अब किसके पास फरियाद करें।

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