शिल्प मेला परिसर में बही काव्य-धारा
रांची। राजधानी के हरमू मैदान में आयोजित गांधी शिल्प मेला रविवार को कवि सम्मलेन से परिसर गुलजार रहा। संयोजक सदानन्द सिंह यादव ने विभिन्न विधाओं में पारंगत कवियों की महफ़िल सजाई। डॉ शिशिर सोमवंशी की अध्यक्षता में 20 से अधिक कवि और शायरों ने श्रोतासमूह को भाव विभोर कर दिया। मुख्य अतिथि छोटानागपुर क्राफ्ट डेवलपमेंट सोसाइटी, रांची के सचिव बी चौधरी, उत्पल बानिक, आशीष भौमिक, विकास आयुक्त पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता वस्त्र मंत्रालय के प्रतिनिधि और विशिष्ट अतिथि कथाकार और आकाशवाणी के अधिकारी सुनील सिंह बादल थे। कार्यक्रम की शुरुआत रिंकू बनर्जी की गणेश वंदना से हुई। पहले नेहाल सरैहावी और उसके बाद सीमा चंद्रिका तिवारी के संचालन में कार्यक्रम परवान चढ़ता रहा। उर्दू शायर डॉ मसूद जामी और नसीर अफसर ने उमदा कलाम पेश किया।
डॉ राजश्री जयंती ने 'सोचा मिलकर के फ़साने हजारों लिखें', डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने 'इत्र की शीशी शीर्षक कविता, पूजा शकुंतला शुक्ला ने 'कमाल ए इश्क ने मुझको बदल के रखा है', संगीता कुजारा टाक ने 'पी ली मैंने', नीतू सिन्हा ने 'है तेरे लौट आने की बेकरारी बहुत' सुनाकर महफिल में चार चांंद लगा दिये। चेतना झा ने 'नदी को तब कहांं कुछ भी पता था' और सीमा चन्द्रिका तिवारी ने 'एक लड़की हूंं एक औरत हूंं' नज़्म सुनायी। सदानंद सिंह यादव ने झारखंंड की महिमा का गुणगान अपने लोकगीत में किया। डॉ शिशिर सोमवंशी ने 'तुम्हारे गांव की गलियों ने गुजारिश की है' सुना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संध्या चौधरी, रेणु झा, चित्रगुप्त सारंग, सूरज श्रीवास्तव, सारिका भूषण, शालिनी नायक, प्रवीण परिमल की प्रस्तुतिं ने श्रोताओं का उत्साह बढ़ाया। मौके पर हिंदी के डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ जंग बहादुर पाण्डेय, मनोज मंडल, निशिकांत पाठक, निरंजन श्रीवास्तव सहित अनेक साहित्यिक विभूतियांं उपस्थित रहीं।
डॉ राजश्री जयंती ने 'सोचा मिलकर के फ़साने हजारों लिखें', डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने 'इत्र की शीशी शीर्षक कविता, पूजा शकुंतला शुक्ला ने 'कमाल ए इश्क ने मुझको बदल के रखा है', संगीता कुजारा टाक ने 'पी ली मैंने', नीतू सिन्हा ने 'है तेरे लौट आने की बेकरारी बहुत' सुनाकर महफिल में चार चांंद लगा दिये। चेतना झा ने 'नदी को तब कहांं कुछ भी पता था' और सीमा चन्द्रिका तिवारी ने 'एक लड़की हूंं एक औरत हूंं' नज़्म सुनायी। सदानंद सिंह यादव ने झारखंंड की महिमा का गुणगान अपने लोकगीत में किया। डॉ शिशिर सोमवंशी ने 'तुम्हारे गांव की गलियों ने गुजारिश की है' सुना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संध्या चौधरी, रेणु झा, चित्रगुप्त सारंग, सूरज श्रीवास्तव, सारिका भूषण, शालिनी नायक, प्रवीण परिमल की प्रस्तुतिं ने श्रोताओं का उत्साह बढ़ाया। मौके पर हिंदी के डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ जंग बहादुर पाण्डेय, मनोज मंडल, निशिकांत पाठक, निरंजन श्रीवास्तव सहित अनेक साहित्यिक विभूतियांं उपस्थित रहीं।
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