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हाफिज के संगठन को हमेशा के लिए बैन कर सकता है पाक

इस्लामाबाद। पाकिस्तान जल्द ही मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा पर हमेशा के लिए बैन लगा सकता है। कई और आतंकी संगठनों पर रोक लगाने की तैयारी है। इसके लिए नया बिल लाया जा रहा है। यह बिल राष्ट्रपति के उस अध्यादेश की जगह लेगा, जिसके तहत गृह मंत्रालय की वॉचलिस्ट में शामिल आतंकी गुटों पर बैन की बात कही गई थी।

एंटी-टेररिज्म एक्ट में होगा बदलाव
नया बिल एंटी-टेररिज्म एक्ट 1997 में बदलाव के लिए होगा। इसे सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में लाया जा सकता है। पाकिस्तान सरकार पर सेना का हमेशा से प्रभाव रहा है। ऐसे में यह बिल तैयार करने में उसे भी भरोसे में लिया गया है।

ग्रे-लिस्ट में शामिल होने के बाद लिया फैसला
पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्ट फोर्स (एफएटीएफ) ने फरवरी में ग्रे-लिस्ट में शामिल किया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि उसने सुधार नहीं किए तो जल्द ही उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।

ग्रे-लिस्ट में आने के मायने क्या हैं
इस लिस्ट में शामिल देशों के दूसरे देशों से बैंकिंग लेनदेन खत्म हो जाते हैं। पाकिस्तान 2012 से 2015 तक लगातार तीन साल इस लिस्ट में रहा।

एफएटीएफ का क्या काम है
यह उन देशों की एक्टिविटीज पर नजर रखता है जो आतंकियों को किसी भी तरह की मदद मुहैया कराते हैं।

अमेरिका के प्रस्ताव पर ग्रे-लिस्ट में हुआ शामिल
अमेरिका ने पिछले दिनों आतंकियों के खिलाफ सही कदम ना उठाने की वजह से पाकिस्तान को एफएटीएफ की लिस्ट में डालने का प्रस्ताव रखा था। भारत, फ्रांस और ब्रिटेन ने अमेरिका के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन, सउदी अरब और तुर्की ने पाकिस्तान को इस लिस्ट में डालने का विरोध किया था, लेकिन बाद में इन देशों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया।

एफएटीएफ की लिस्ट में अभी कितने देश हैं
एफएटीएफ की लिस्ट में अभी इथोपिया, श्रीलंका, सर्बिया, सीरिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, ट्यूनिशिया, वनुआतु, यमन और इराक समेत कई देश शामिल हैं।

बचने के लिए पहले भी की थी सईद पर कार्रवाई
पाक ने पिछले दिनों हाफिज सईद से जुड़े संगठनों पर कार्रवाई भी की थी, इस लिस्ट में शामिल होने से बच नहीं सका।

राष्ट्रपति को क्यों जारी करना पड़ा अध्यादेश
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने एंटी-टेररिज्म एक्ट में संशोधन करने के लिए 13 फरवरी अध्यादेश जारी किया था। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सूची में शामिल संगठनों को बैन करने के लिए आदेश दिया था।
इस अध्यादेश की मियाद 120 दिन बाद खत्म हो रही है। ऐसे में सरकार को यह फैसला उठाना पड़ा।

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