पर्यावरण की पूजा ही गोवर्धन की पूजा : उमेश भाई जानी
रांची। राजधानी
के लालपुर चौक स्थित पटेल भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा चल रहा है। छ्त्तीसगढ़ के
भिलाई से आए भागवत वक्ता उमेश भाई जानी हैं। उन्होंने कहा कि ब्रम्हा जी हमें
जन्म देते हैं। विष्णु पालन करते हैं। शिव कल्याण करते हैं। जो काम तीनों देवता
मिलकर करते हैं, वही अकेली घर की मां कर लेती है। ईश्वर तो सुख के साथ दुःख भी देते है, परंतु माता-पिता
अपनी संतानों को मात्र और मात्र सुख ही देते हैं।
श्री राम और
श्री कृष्ण का जन्म भारत भूमि पर नहीं होता तो हमारा जीवन कितना नीरस होता। राम लाखों
वर्ष पहले जन्म लिए, कृष्ण हजारों वर्ष पहले, पर आज भी उनका जन्मोत्सव पूरी दुनिया
धूमधाम से मनाती है। हम तो अपना जन्म दिन भी भूल जाते हैं। श्री कृष्ण की
बाल लीला का वर्णन करते हुए उमेश भाई ने बताया कि नंद का अर्थ जो दूसरो को आनंद
कराये। यशोदा जो यश बांटे। माखन चोरी लीला में माखन को मन मानते हैं। भगवान तन को
नहीं मन को देखते हैं। इसलिए मन सदैव पवित्र रखे।
भागवत के विषय
को वर्तमान के साथ जोड़ते हुए बताया कि गर्भ में भ्रूण हत्या का पाप करना यानी
पूतना। उद्योगों की गंदगी नदी में मिलाना यानी कालिय नाग की प्रवृति। गोवर्धन लीला
की कथा बताते हुए कहा कि प्रकृति और पर्यावरण की पूजा ही गोवर्धन लीला है। श्री कृष्ण
वृक्षों की, शिक्षकों की, नदी की, गायों की, पर्वतों की पूजा और रक्षा करके
पर्यावरण के प्रति हमें जागरूक करते हैं। इस अवसर पर 56 भोग का प्रसाद चौहान
परिवार द्वारा बांटा गया। नंद महोत्सव पर भक्तजनों ने झूमकर नृत्य किया। चॉकलेट, माखन, मिश्री, खिलौने बांटे। श्री कृष्ण और श्री
रुक्मणि के विवाह प्रसंग 12 अप्रैल को होगा।
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