आतंकवाद वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़े खतरों में एक: सुषमा
बाकू। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि आतंकवाद
अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में एक है और यह
विकास लक्ष्यों को हासिल करने की क्षमता को कमजोर कर देता है। यहां गुट
निरपेक्ष देशों की 18 वीं मध्यावधि मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए
सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि काफी समय से लंबित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में
सुधार के बगैर इस वैश्विक संस्था में सुधार करने की कोशिश पूरी नहीं होगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद सबसे बड़े खतरों में एक है। उन्होंने कहा कि यह हमारे नागरिकों को अपना शिकार बनाता है और विकास लक्ष्य पूरा करने की हमारी क्षमता को कमजोर कर देता है। बैठक की अध्यक्षता वेनेजुएला के विदेश मंत्री जार्ज एरीयजा ने की। सुषमा ने कहा कि1996 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक समझौते( सीसीआईटी) का प्रस्ताव किया था, ताकि मौजूदा कानूनी ढांचे को मजबूत किया जा सके।
दो दशक बाद भी इस चर्चा ने काफी कम प्रगति की है जबकि आतंकवादियों ने अपनी हरकतें जारी रखी हैं। सुषमा ने कहा कि प्रथम कदम के तौर पर हमें सीसीआईटी को अंतिम रूप देने के अपने संकल्प का नवीकरण करना चाहिए। गुट निरपेक्ष देशों को इस लक्ष्य के प्रति वैश्विक समुदाय को अवश्य ही प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की आखिरी उच्च स्तरीय बैठक में इस वैश्विक संस्था में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मजबूत इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में अंतर सरकारी वार्ता प्रक्रिया अहम विषयों पर बातचीत के लिए एक विश्वसनीय सामूहिक प्रक्रिया में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ी है।
विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद सबसे बड़े खतरों में एक है। उन्होंने कहा कि यह हमारे नागरिकों को अपना शिकार बनाता है और विकास लक्ष्य पूरा करने की हमारी क्षमता को कमजोर कर देता है। बैठक की अध्यक्षता वेनेजुएला के विदेश मंत्री जार्ज एरीयजा ने की। सुषमा ने कहा कि1996 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक समझौते( सीसीआईटी) का प्रस्ताव किया था, ताकि मौजूदा कानूनी ढांचे को मजबूत किया जा सके।
दो दशक बाद भी इस चर्चा ने काफी कम प्रगति की है जबकि आतंकवादियों ने अपनी हरकतें जारी रखी हैं। सुषमा ने कहा कि प्रथम कदम के तौर पर हमें सीसीआईटी को अंतिम रूप देने के अपने संकल्प का नवीकरण करना चाहिए। गुट निरपेक्ष देशों को इस लक्ष्य के प्रति वैश्विक समुदाय को अवश्य ही प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की आखिरी उच्च स्तरीय बैठक में इस वैश्विक संस्था में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मजबूत इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में अंतर सरकारी वार्ता प्रक्रिया अहम विषयों पर बातचीत के लिए एक विश्वसनीय सामूहिक प्रक्रिया में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ी है।
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