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विधिक अज्ञानता विकास में बड़ी बाधा : न्यायमूर्ति डीएन पटेल

रांची। झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने कहा है कि देश और समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा विधिक अज्ञानता ही है। पिछले कुछ महीने में विधिक जानकारी के साथ ही नालसा की निःशुल्क विधिक सेवाओं के संदर्भ में आम लोगों के बीच जानकारी बढ़ी है। इसमें विधिक स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वे  राजधानी के सोनाहातु प्रखंड के हारिण, पंचायत के बांकु गांव में राधारानी मैदान में आयोजित विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर में बोल रहे थे। इसका आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने किया था।
न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि आम लोगों को आगे बढ़ कर आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए नालसा की योजनाओं से लाभांवित होने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन द्वारा लोगों को विधिक सेवा की जानकारी देने के लिए लगाये गये स्टॉल के भ्रमण के दौरान प्रदेश अध्यक्ष राजेश सिंह को यह निर्देश दिया कि वे नालसा की 10 सूत्री योजनाओं के साथ ही मध्यस्थता संबंधी प्रावधानों का व्यापक प्रचार प्रसार विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र मंे करें। इस शिविर में विविध सरकारी विभागों, बैंकों, आधार केन्द्र आदि का भी मुआयना किया। विधिक सेवा आपके द्वार कार्यक्रम के तहत मंगलवार को आयोजित इस शिविर को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) के मार्ग निर्देशन मंे झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के सहयोग से आयोजित किया गया था।
श्री पटेल के साथ झालसा के सदस्य सचिव एके राय, न्यायायुक्त नवनीत कुमार, झारखंड उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के सचिव संतोष कुमार, डीएलएसए रांची के सचिव राजेश कुमार सहित अन्य न्यायिक पदाधिकारी भी थे। श्री सिंह ने बताया कि शिविर में संगठन के स्टाल में 4,000 से ज्यादा लोगों ने विविध विधिक सेवाओं के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की। उन्हें झालसा तथा अंतररार्ष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन द्वारा प्रकाशित पुस्तकें और प्रचार सामग्री दी गयी। इसके साथ ही 124 लोगों ने अपनी लिखित रूप् में समस्याएं दी, जिसे डीएलएसए रांची या झालसा को सौपा जायेगा। आज के आयोजन में सुशील कुमार पाठक, रति लाल के अतिरिक्त संगठन के अन्य पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, स्वंयसेवकों, विधिक सेवकों आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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