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अमेरिका ने WTO में एक्सपोर्ट सब्सिडी स्कीमों को दी चुनौती

वाशिंगटन।अमेरिका ने भारत की एक्सपोर्ट सब्सिडी स्कीमों को विश्व कारोबार संगठन (डब्लूटीओ) में चुनौती दी है। अमेरिकी शिकायत में 6 स्कीमों के नाम हैं। इसमें कहा गया है कि भारत निर्यातकों के अलावा स्टील प्रोडक्ट, फार्मा, केमिकल, आईटी और टेक्सटाइल निर्माताओं को इन्सेंटिव देता है। इन स्कीमों से इन्हें हर साल 7 अरब डॉलर (45,500 करोड़ रुपए) की मदद मिलती है। इस मदद से निर्यातक अपना सामान सस्ते में एक्सपोर्ट करते हैं, जिससे अमेरिकी मैन्युफैक्चरर्स और कामगारों को नुकसान होता है। अमेरिकी कारोबार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) रॉबर्ट लाइथिजर ने कहा, "कारोबार के समान मौके के लिए डब्लूटीओ समेत सभी रास्ते अख्तियार किए जाएंगे। बातचीत से समाधान नहीं निकला तो डब्लूटीओ के डिस्प्यूट (विवाद) सेटलमेंट पैनल से विचार का आग्रह करेंगे।" यह बयान ऐसे समय आया जब विदेश सचिव विजय गोखले अमेरिका दौरे पर हैं।

यह हमारे लिए बड़ी चिंता की बात क्यों
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 मार्च को स्टील पर 25% और एल्युमिनियम पर 10% इंपोर्ट ड्यूटी लगाने के आदेश पर दस्तखत किए थे। इससे भारत पर ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि अमेरिका के स्टील आयात में भारत की हिस्सेदारी 1.28% और एल्युमिनियम में 1.12% है। एक्सपोर्ट स्कीमों पर अंकुश लगा तो असर बड़ा हो सकता है। फियो महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि भारत का 15% निर्यात अमेरिका को होता है। इसलिए यह हमारे लिए बड़ी चिंता की बात है।

अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा- भारत को 2015 में ही एक्सपोर्ट इन्सेंटिव खत्म कर देना था
 डब्लूटीओ के नियमों के मुताबिक जिन देशों की प्रति व्यक्ति औसत आय 1,000 डॉलर से कम है, वे एक्सपोर्ट इन्सेंटिव दे सकते हैं। इन्सेंटिव उन्हीं सेक्टरों के लिए दी जा सकती है जिनकी ग्लोबल एक्सपोर्ट में 3.25% से कम हिस्सेदारी है। अमेरिका का कहना है कि भारत 2015 में ही इस मानदंड से ऊपर आ गया था।
 नियम के अनुसार यह छूट खत्म कर दी जानी चाहिए थी, लेकिन भारत ने इसका आकार और दायरा, दोनों बढ़ा दिया है। 2015 में मर्केंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम शुरू की गई तो इसमें करीब 4,000 प्रोडक्ट शामिल थे, लेकिन अब इसमें 8,000 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं।2000 से 2017 के बीच स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) से निर्यात 6000% बढ़ा है। 2016 में एसईजेड से 82 अरब डॉलर (5.3 लाख करोड़ रु.) का निर्यात हुआ जो भारत के कुल निर्यात का 30% था। 2000 से 2016 के दौरान एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स स्कीम और सेक्टर विशेष की स्कीमों के जरिए निर्यात में 160% इजाफा हुआ है।

एक्सपोर्ट इन्सेंटिव खत्म करने के लिए हमारे पास 8 साल : वाणिज्य सचिव
 वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने कहा कि डब्लूटीओ के नियमों के ही मुताबिक 1,000 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय का मानदंड पूरा करने के बाद एक्सपोर्ट इन्सेंटिव खत्म करने के लिए 8 साल का वक्त होता है। भारत इस समय सीमा में एक्सपोर्ट सब्सिडी खत्म कर देगा। हालांकि, 8 साल कब से गिना जाए, इस पर भ्रम है। भारत 2017 को आधार मानना चाहता है।
 तेवतिया ने कहा कि हम अमेरिका के सामने स्थिति स्पष्ट करेंगे। उम्मीद है कि वे भी सकारात्मक नजरिए के साथ बात करेंगे और ‘मित्र’ देश के साथ विवाद सुलझाने की कोशिश करेंगे। डब्लूटीओ के सदस्य देश को जवाब देने के लिए 60 दिन मिलते हैं। इस समय सीमा में हम अमेरिकी शिकायत का जवाब देंगे।

इन 6 स्कीमों पर है अमेरिका को ऐतराज
1. मर्केंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम
2. एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स स्कीम
3. इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स स्कीम
4. स्पेशल इकोनॉमिक जोन
5. एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम
6. ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट्स फॉर एक्सपोर्टर्स प्रोग्राम

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