खिसक रहा बैंकों का ‘आधार’
रांची। बैंक खातों, मोबाइल या पासपोर्ट जैसी सेवाओं के लिए फिलहाल आधार कार्ड अनिवार्य नहीं रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 13 मार्च को इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुनाया
है। पहले सरकार ने इन सेवाओं से आधार नंबर जोड़ने के लिए 31 मार्च तक की डेडलाइन दी थी। हर दिन बैंक और मोबाईल कंपनी की ओर से ग्राहक/उपभोक्ताओं
को आधार से लिंक कराने का मैसेज दिया जा रहा था। कई बार फोन आता था। एसएमएस तो लगातार
मिलते थे। कोर्ट का आदेश आने के बाद मैसेज आने बंद हो गये हैं। हालांकि मौखिक तौर पर
अब भी बैंक वाले खातों को आधार नंबर से जोड़ने की बात कह रहे हैं। कोर्ट ने फैसले के
बाद सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के लिए इसकी अनिवार्यता अभी बनी रहेगी। सरकार के आधार
कार्ड बनाने के नए आदेश से बैंकों का आधार खिसकने लगा है। बैंक अपने वास्तविक काम
पर ध्यान नहीं दे पा रहे हें।
बैंक कर्मियों की आई
शामत
आधार को लेकर बैंक कर्मियों
की शामत आ गई है। केंद्र सरकार ने बैंक और डाकघरों को ही आधार कार्ड बनाने की जिम्मेवारी
सौंप दी है। बैंक ने इसे बनाने की जिम्मेवारी पहले बाहर की एजेंसी को दी थी। केंद्र सरकार
ने एजेंसी को हटाकर इस काम में बैंककर्मियों को लगाने का आदेश दिया है। नए आदेश का
पालन भी बैंकों ने करना शुरू कर दिया है।
प्रशिक्षण से पहले खरीदारी
केंद्र सरकार के आदेश
के बाद कई बैंक अफसरों की निकल पड़ी है। स्थिति यह है कि कई बैंकों ने आनन-फानन में करोड़ों रुपये की मशीन की खरीदारी कर ली।
आधार बनाने वाले कर्मियों को प्रशिक्षण दिलाने की जल्दी प्रबंधन को नहीं थी। हालांकि मशीन
खरीदकर शाखाओं में पहुंचाने की जल्दबाजी जरूर थी। प्रबंधन के फैसले के कारण बैंक शाखाओं
में मशीन आकर महीनों पड़ी हुई है। इसकी वजह से गारंटी और वारंटी भी जल्द ही खत्म हो
गई या खत्म हो जाएगी।
कई हो गए बेरोजगार
केंद्र सरकार के आधार
बनाने संबंधी फैसले से कई लोगों का रोजगार चला गया। एजेंसी के काम से हटा दिए जाने से उसमें काम करने वाले बेरोजगार हो गए। एजेंसी से आधार के बारे में कई सूचनाएं लीक होने
की खबर आई थी। इसके बाद ही यह निर्णय लिया गया। जानकारों का कहना है कि दोषी एजेंसी
पर कार्रवाई होनी चाहिए। एक के कारण सभी को हटा देना उचित नहीं है। सरकारी कार्यालयों
में भी गड़बडि़यां होती रहती है। ऐसे में कार्यालय को बंद नहीं किया जाता है। दोषी कर्मचारी
पर कार्रवाई की जाती है।
बैंक के इतर ही काम
बैंक के कर्मचारियों
का कहना है कि उनसे बैंकों को छोड़ हर तरह का काम लिया जा रहा है। बैंकों में कर्मियों की कमी पहले से ही
है। जरूरत के अनुसार भर्ती नहीं हो रही है। बैंकों की शाखाएं लगातार खोली जा रही है।
कर्मी रिटायर भी हो रहे हैं। नतीजतन, बैंक के काम से जाने पर ग्राहकों को कई बार घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। इससे
उनमें ‘सरकारी बैंक में ऐसा ही होता है’ की धारणा घर करती जा रही है।
लोगों को निजी बैंक ‘प्यारा’ लगने लगे हैं।
ई केवाईसी हो गया अनिवार्य
बैंकों में नये खाते खोलने के लिए ई केवाईसी अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए आधार कार्ड जरूरी है। स्थिति यह है कई बार इसका साइट सपोर्ट नहीं करता है। इसका सत्यापन कराने के लिए लोगों को तीन से चार बार बैंक दौड़ना पड़ता है। इतना ही नहीं, सरकार के आला अफसर और जनप्रतिनिधि जनप्रतिनिधियों का भी निर्देश है कि बिना आधार के खाते नहीं खोले जाएं। पुराने खातों को आधार से जोड़ा जाए।
ई केवाईसी हो गया अनिवार्य
बैंकों में नये खाते खोलने के लिए ई केवाईसी अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए आधार कार्ड जरूरी है। स्थिति यह है कई बार इसका साइट सपोर्ट नहीं करता है। इसका सत्यापन कराने के लिए लोगों को तीन से चार बार बैंक दौड़ना पड़ता है। इतना ही नहीं, सरकार के आला अफसर और जनप्रतिनिधि जनप्रतिनिधियों का भी निर्देश है कि बिना आधार के खाते नहीं खोले जाएं। पुराने खातों को आधार से जोड़ा जाए।
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