नहीं भाया अफसर का वेतन, फिर बनेंगे कोयला कामगार
रांची। चौबे गये थे छब्बे
बनने दूबे बनकर लौटे। यह कहावत कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनी में कार्यरत कई कर्मियों
पर सटीक बैठता है। ऐसे कर्मी पहले कामगार थे।
परीक्षा पास कर अफसर बने। उसका वेतन उन्हें कम लगा। फिर से कामगार बनने के लिए हाथ-पांव
मारने लगे। अंतत: कोल इंडिया ने इसकी इजाजत दे दी। कोल इंडिया के महाप्रबंधक (कार्मिक)
तृप्ति पराग साव ने इस संबंध में 13 मार्च को सभी सहायक कंपनियों के सीएमडी और निदेशक
को पत्र भेजा है। ऐसे कर्मियों की संख्या दो हजार से अधिक बताई जाती है।
जानकारी के मुताबिक करीब डेढ़
साल पहले सभी कामगार से अफसर बने थे। इस बीच कामगारों का दसवां वेतन समझौता हो गया।
इसकी वजह से ऐसे ‘अफसरों’ का वेतन ए-1 ग्रेड के कामगारों से कम हो गया। यह बात उन्हें सालने लगी। उन्हें लगा था
कि अफसर बनने के बाद उनका रूबता, वेतन, सामाजिक प्रतिष्ठा सब बढ़ जाएगा। हालांकि उन्हें इसका उलटा होता प्रतीत हुआ।
सबसे अधिक दुख वेतन को लेकर हुआ। इसके बाद से ही सभी वापस कामगार बनने के लिए जुगत
भिड़ना शुरू कर दिए। काफी कर्मियों ने इस संबंध में यूनियनों से भी संपर्क किया।
कामगार वर्ग में रिवर्ट होने
के बाद दसवें वेतन समझौते के तहत उनका वेतन निर्धारण होगा। हालांकि इस दौरान अफसर बनकर
उनके द्वारा ली गई पीआरपी सहित अन्य सुविधाओं की रिकवरी होगी। आंतरिक अंकेक्षण की
जांच के बाद इस संबंध में जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
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