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गाेरखपुर-फूलपुर उपचुनावः ढह गया याेगी का किला, फूलपुर में भी मुरझाया कमल फूल

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की 2 लोकसभा सीट गाेरखपुर आैर फूलपुर पर हुए उपचुनावों के नतीजे आ चुके हैं। दाेनाें सीटाें पर सपा प्रत्याशी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की है। आगामी लाेकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहे जाने वाले इस चुनाव में मिली करारी हार से बीजेपी के 2019 मिशन काे करारा झटका लगा है। सपा-बसपा गठबंधन की इस जीत ने बीजेपी के लाेकसभा चुनावी सफर को और भी मुश्किल बना दिया है।

किस पार्टी काे मिले कितने वाेट
फूलपुर
वहीं एतिहासिक फूलपुर सीट से सपा कैंडिडेट नगेंद्र सिंह पटेल काे 3,42,796 वाेट आैर बीजेपी प्रत्याशी काैशलेंद्र प्रताप सिंह काे 2,83,183 मिले हैं जबिक कांग्रेस प्रत्याशी मनीष मिश्र काे 19, 334 वाेट प्राप्त हुए हैं। बाहुबली व निर्दलीय प्रत्याशी अतीक अहमद 48,087 वाेट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

याेगी आदित्यनाथ काे बड़ा झटका
जिस गाेरखपुर सीट पर बीजेपी का पिछले तीन दशक से कब्जा था उसे भी मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ नहीं बचा पाए। इस सीट पर भी बीजेपी प्रत्याशी काे करारी हार का सामना करना पड़ा है।

पहली परीक्षा में ही फेल हुए याेगी आदित्यनाथ
बता दें कि मुख्यमंत्री बनने के बाद याेगी की ये पहली बड़ी परीक्षा थी जिसमें वह फेल हाे गए हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन को यूपी की 80 में से 73 सीटें हासिल हुई थीं, लेकिन चार साल बाद दो लोकसभा के उपचुनाव हुए और योगी जी के नेतृत्व में बीजेपी दोनों सीटें हार गई।

गोरखपुर में हमेशा से रहा है गोरखपीठ का दबदबा
गोरखपुर में शुरू से ही गोरखपीठ का दबदबा रहा है और यहां हमेशा से ही पीठ का मुख्य पुजारी चुनाव जीतता आया है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से भाजपा के सांसद हैं। वह लगातार यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं।

योगी आदित्यनाथ से पहले यहां गोरखपीठ के मुख्य पुजारी महंत अवेद्यनाथ यहां के सांसद थे। वह पहली बार 1989 में हिंदू महासभा की ओर से लोकसभा चुनाव जीते थे। अवेद्यनाथ यहां लगातार तीन बार चुनाव जीते और सांसद रहे।

गोरखपुर में पहली बार गोरखपीठ मठ का दबदबा 1967 में देखने को मिला जब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर महंत दिग्विजयनाथ ने यहां चुनाव जीता था। उनके बाद यहां से महंत अवेद्यनाथ ने पहली बार 1970 में चुनाव जीता। हालांकि 1977 में यहां भारतीय लोकदल के उम्मीदवार हरिकेश बहादुर चुनाव जीते थे। जिसके बाद 1980 में वह कांग्रेस के टिकट पर दोबारा 1980 में पर चुनाव जीते। इसके बाद यहां मदन पांडे कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन 1989 में यहां पर एक बार फिर से मठ ने वापसी की और महंत अवेद्यनाथ हिंदू महासभा की सीट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। 1991 में महंत अवेद्यनाथ ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और फिर से जीतकर लोकसभा पहुंचे और इसके बाद से हमेशा यहां भाजपा का कब्जा रहा है।  

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