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राजधानी में दो माह में सात बड़ी वारदातें, 25 मर्डर, 20 रेप और 11 रंगदारी

रांचीराजधानी में अपराध बढ़ गया है। हत्या, दुष्कर्म और रंगदारी की घटनाएं बढ़ गई हैं, लेकिन पुलिस अपराधियों पर शिकंजा नहीं कस पा रही है। इस वर्ष जनवरी से लेकर अबतक 25 से अधिक हत्या की घटना हो चुकी है। वहीं सिर्फ दो महीने जनवरी व फरवरी में, रांची में 20 दुष्कर्म और रंगदारी के 11 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए है। एक मार्च से 12 मार्च तक रांची में छह गोली मारने की घटनाएं हुईं, जिनमें तीन की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। इन छह घटनाओं में पुलिस अभी भी तीन मामलों में अपराधियों तक नहीं पहुंच सकी है। पुलिस अबतक सिर्फ छापेमारी ही कर रही है।

कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाये तो रंगदारी, औरत और जमीन काल बन रही है। केवल इस माह मार्च में गुजरे 11 दिनों में 7 बड़ी वारदातों ने सबको झकझोर कर रख दिया है। दिनदहाड़े किसी को भी बीच सड़क पर गोलियों से भून देना यह बता रही है कि अपराधियों में पुलिस का कोई डर नहीं रहा। आलम यह है कि थानेदार को अपने इलाके के रंगदार या दागदार के बारे में पुख्ता जानकारी तक नहीं है।

वीवीआईपी मूवमेंट में ही दिन भर उलझी रहती है रांची पुलिस
रोज-रोज धरना, जुलूस, प्रदर्शन और वीवीआईपी मूवमेंट में ही दिन भर उलझी रहती है रांची पुलिस। अपराध की रोकथाम को लेकर कोई गंभीर और ठोस पहल नहीं हो रही। पहले अपराधियों से निपटने के लिए टास्क फोर्स काम करती थी, अब कोई बड़ी वारदात के बाद बनाई जाती है एसआईटी। एसआईटी में भी दमखम नहीं। संसाधन में कोई कमी नहीं, कमी है तो सिर्फ इच्छाशक्ति में। 40 उम्र पार कर चुके ज्यादातर थानेदारों में तो कुछ एेसे हैं जो हाथ जोड़कर आला अधिकारियों से कहते हैं कि उन्हें राजधानी से हटा दिया जाए। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ थानेदारों ने बताया कि काम का प्रेशर इतना है कि वह चाहकर भी अलग कुछ नहीं कर सकते।

सूचना तंत्र काफी कमजोर
कई मामलों में रांची पुलिस से हुई चूक से यह साबित होता है किपुलिस का सूचना तंत्र बेहद कमजोर है। वर्तमान में राजधानी में ऐसा कोई थानेदार या डीएसपी नहीं जिसे अपराधियों के इल्म का जानकार कहा जा सके। ज्यादातर थानेदार 1989 और 1994 बैच के हैं। इस बैच के जो तेज तर्रार अफसर समझे जाते थे, वह वर्तमान में सीआईडी, स्पेशल ब्रांच या फिर एसीबी में तैनात हैं। कुछ एसटीएफ में हैं।

पिछले दो महीने में 1231 घटनाएं
रांची जिले में विगत दो महीने में कुल 1231 संज्ञेय अपराध हुए हैं। 2015 में कुल संज्ञेय अपराध की संख्या 7706 थी, जो 2016 में बढ़कर 7781 हो गई। फिर 2017 में यह संख्या घटकर 7701 पर आ गई। इस वर्ष दो महीने में अबतक 1231 संज्ञेय अपराध दर्ज हुए हैं।

इस माह दर्ज हुईं बड़ी घटनाएं
11 मार्च को नगड़ी में बीजेपी नेता पंकज लाल गुप्ता की गोली मारकर हत्या।
11 मार्च को तुपुदाना में कॉलेज छात्र प्रीतम मुंडा को गोली मारकर किया घायल।
10 मार्च, नगड़ी में राजद नेता कैलाश प्रसाद सोनी की गोली मारकर हत्या।
5 मार्च, तुपुदाना में एक व्यक्ति का जला हुआ शव बरामद।
6 मार्च, कुरैशी मुहल्ला में जमीन कारोबारी सलाम खान की गोली मारकर हत्या।
 2 मार्च को बरियातू थाना क्षेत्र के हरिहर सिंह रोड में युवक शिवा लोहरा की हत्या।
  1 मार्च को नामकुम में जमीन कारोबारी को गोली मारकर घायल किया।

रंगदारी वसूली में भी हत्या
राजधानी में नौ एेसे अपराधी और उग्रवादी संगठन सक्रिय हंै, जो केवल रंगदारी और लेवी नहीं मिलने पर हत्या कर देते हैं। जेल में बंद अपराधी के इशारे पर बड़े व्यवसायी, इंजीनियर, बिल्डर की हत्या की जा रही है। इंजीनियर अमरेंद्र प्रसाद से बतौर रंगदारी एक करोड़ रुपये मांगी गई, नहीं देने पर उन्हें गोली मारकर जख्मी कर दिया गया। गोली मारने वाले लवकुश शर्मा चिंदी चोर से कुख्यात अपराधी बन बैठा। जेल में बंद कई अन्य अपराधी के नाम से रंगदारी वसूली जा रही है।

रांची में आकंड़ों को देखें तो घटनाएं कम हुई हैं : आईजी
आईजी (अभियान) सह पुलिस प्रवक्ता आशीष बत्रा ने कहा कि 2015 में हत्या की 207 घटनाएं हुई, वहीं 2016 में यह घटकर 197 पर पहुंच गई और 2017 में 177 घटनाएं हत्या की हुईं। रांची में दो महीनों में देखा जाए तो हत्या की 22 घटनाएं हुई हैं। यह दर्शाती है कि संख्या में कमी आई है। नगड़ी में हत्या की घटना मोटिवेटेड है। पुलिस अपराधियों को पकड़ने में गंभीरता से लगी हुई है।

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