सीसीएल में सरहुल पूर्व संध्या महोत्सव में दिखी संस्कृति की झलक
रांची। कोल इंडिया की
सहायक कंपनी सीसीएल के
रांची मुख्यालय के विचार मंच में 17 मार्च को सरहुल पूर्व संध्या महोत्सव का आयोजन मुख्यालय की सरना समिति ने किया। इसमें आदिवासी संस्कृति की झलक दिखी।
मुख्य अतिथि कंपनी के निदेशक (कार्मिक) आरएस महापात्र, विशिष्ट अतिथि मुख्य सतर्कता पदाधिकारी एके श्रीवास्तव, रांची कॉलेज मानवशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रो अभय सागर मिंज और आदिवासी यूनिवर्सिटी, शिकागो की श्रीमती अनिषा
जे मार्टिन थे।
श्री महापात्र ने कहा कि सरहुल प्रकृति
पर्व है। जीवन प्रकृति से है। प्रकृति का हम सभी आदर करें। हम प्रकृति का संरक्षण
करेंगे,
तभी
प्रकृति सभी का ख्याल रखेगी। हम सभी को सरहुल पर्व के संदेश को समझना और आत्मसात
करना है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आदिवासी समाज में प्रकृति ही सभी कार्य और रिवाजों का केंद्र बिन्दु है। हमें इससे सीख लेने की आवश्यकता है। वर्तमान परिस्थितियों में हम सभी को एक साथ मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए संकल्प लेना चाहिए।
प्रो अभय सागर मिंज ने सभी को पर्यावरण संरक्षण, धरती माता की महत्ता, पूर्वजों की महत्ता
से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि आदिवासी संस्कृति में क्यों धरती को मां का
दर्जा दिया गया है। हम सभी को अपनी संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। संस्कृति
के सरंक्षण में भाषा का महत्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। अगली पीढ़ी को अपनी भाषा, अपना इतिहास और
परंपरागत संस्कृति की जानकारी देने पर बल
दिया।
अवसर विशेष पर रांची कॉलेज के छात्र-छात्राओं और सीसीएल
कर्मियों ने परंपरागत आदिवासी लोक गीत, नृत्य प्रस्तुत किया। मुख्यालय के विभिन्न विभागों के महाप्रबंधक, विभागाध्यक्ष सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत जगरनाथ उरांव और उनकी टीम के अनादि प्रार्थना के साथ हुई। स्वागत एवं मंच संचालन वाईके धीरज ने किया। कार्यक्रम के आयोजन में अध्यक्ष
पंचम मुंडा, सचिव
राजनाथ महतो, दशरथ उरांव, विगु
उरांव, रघु
भवानी, सनोज
एक्का, सुको
देवी, रंजीता, मीना
देवी, लक्ष्मी
देवी, कांधी
देवी, फगन
देवी आदि ने योगदान दिया।
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