Video Of Day

Latest Post

जिंदगी से दोबारा मिलवाने बढ़ाया 1001 कदम


  • फाउंडेशन कि छह महीनों में एक हजार से अधिक लोगों को दी सेवा
रांची। जिंदगी दोबारा मिलती है। इसका भारतीय ग्रंथों में जिक्र है। शायद इसी को ध्‍यान में रखकर रांची के कुछ युवाओं ने पहल की। संस्‍था का नाम भी जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन रखा। सेवा नि:स्‍वार्थ भाव से। छह महीने में इस फाउंडेशन ने 1,000वां कदम बढ़ाया। इस नेक काम की राह में कई बाधाएं आई। उसकी परवाह किए बिना सेवा जारी रखा।

नवंबर 2017 को सेवा की शुरुआत
फाउंडेशन की सेवा 5 नवंबर 2017 को चार एंबुलेंस के साथ रिम्स में शुरू हुई थी। सोच इंसानियत जिंदा रहेगी तभी जिंदा हैं हम है। फाउंडेशन का उद्देश्‍य असमर्थ, गरीब, असहाय लोग के मरीज और शव को घर तक सम्‍मान से पहुंचाना है। दायरा 100 तय किया था। सेवा के दौरान इस दायरा को लांघा। सेवा देने में 400-500 किलोमीटर तक की दूरी तय की। फाउंडेशन ने कोलकाता, पूर्वी सिंहभूम, दुमका, आरा, गिरिडीह, लखीसराय, जपला, गोड्डा, गढ़वा, जामताड़ा, धनबाद जैसे शहरों के सुदूर गांव तक मरीज और शवों को पहुंचाने का काम किया।
कुछ ऐसा भी किया
एक गरीब मोची के बेटे को इलाज के लिए फाउंडेशन ने एंबुलेंस से कोलकाता स्थित हॉस्पिटल पहुंचाया। जेल में सजा काट रहे कैदियों के शव को सम्मान से उसके घरों तक पहुंचाने का काम किया। एक बच्ची के शव को गढ़वा उसके घर तक पहुंचाया। बेटे के शव को ले जाने में असमर्थ पिता की सहायता की। उस पिता के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वे शव को कफन भी दे सकते थे। उसके बेटे के शवर को बिहार पहुंचाया। एक लावारिस मरीज को रांची उर्दू लाइब्रेरी के पास से उठाकर मुश्किलों को झेलते हुए रिम्स में भर्ती कराया। उसके परिजनों से मिलवाया। इलाज के बाद उसे घर पहुंचाया।

बाहर बैठकर की सेवा
मदद मिलने से फाउंडेशन से काफी लोग खुश थे। कई को परेशानी भी हुई। कुछ असामाजिक तत्वों ने बीच-बीच में मुश्किलें खड़ी की। फाउंडेशन के सदस्यों ने इसका सामना किया। रिम्स में पार्किंग को लेकर भी कुछ डॉक्टरों ने परेशानी खड़ी की। मांगने के बावजूद जगह नहीं मिलने पर गर्मी, बरसात और ठंडा में फाउंडेशन के कर्मचारी बाहर टेबल-कुर्सी लगाकर सेवा करते रहे। इन कठिनाई के बाद भी सेवा जारी रही। फाउंडेशन ने 6 महीनों में 1001 मरीज और शवों को घर तक पहुंचाने का काम किया।
ये हैं फाउंडेशन के सदस्‍य
फाउंडेशन के अध्यक्ष अश्विनी राजगढ़िया और सचिव जेपी सिंघानिया हैं। अन्‍य सदस्‍यों में आलोक अग्रवाल, अरविंद मंगल, हर्षवर्धन बजाज, कुणाल बोरा, निखिल केडिया, रमन साबू, साकेत सर्राफ, सचिन सिंघानिया, सौरभ मोदी, विक्रम साबू, विपुल अग्रवाल, विनीत अग्रवाल, विवेक बागला हैं। वे कहते हैं कि जिस सोच से फाउंडेशन की शुरुआत की, वह लक्ष्य में सफल हो रहा है। आगे भी फाउंडेशन लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहेगा। इस फाउंडेशन में काम कर रहे हैं एंबुलेंस के ड्राइवर और कर्मचारियों की भी सराहनीय भूमिका रही है।

एक लाख किलोमीटर तय किया
सदस्‍यों ने बताया कि सेवा के दौरान 1,00,000 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय की। उन्‍होंने 1,001 मामले पूरे होने पर फाउंडेशन में योगदान देने के लिए सभी को बधाई दी। कहा कि जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन के फ्री एंबुलेंस सर्विस के लिए 9709500007 नंबर में संपर्क करें।

1 comment:

  1. Very commendable effort for social cause. Congrats ZINDAGI DUBARA FOUNDATION. I want to contribute my time pls guide me.

    ReplyDelete