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बीएयू में हुई अनियमित नियुक्ति पर हो कार्रवाई


  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कुलाधिपति और कृषि सचिव को भेजा पत्र
रांची। बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की हुई अनियमित नियुक्ति पर कार्रवाई हो। उक्‍त बातें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अवसर सचिव (कृषि शिक्षा) अशोक कुमार मीणा ने राज्‍य के कृषि सचिव को भेजे पत्र में कहा है। यही पत्र राज्‍यपाल सह कुलाधिपति को भी भेजा गया है। अनियमितता की शिकायत प्रदीप कुमार हेमरोम और अन्‍य ने परिषद से की थी।

श्री मीणा ने सचिव को भेजे पत्र में लिखा है कि चूंकि राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालय संबंधित राज्‍य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करते हैं। यह मामला बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय, रांची से संबंधित है। अत: पत्र की मूल प्रति सूचनार्थ और उचित कार्रवाई के लिए भेजी जा रही है। यह पत्र उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) की स्‍वीकृति से जारी किया जा रहा है।

यह लिखा था शिकायती पत्र में
श्री हेमरोम ने परिषद को भेजे पत्र में पूर्व कुलपति डॉ एसएन पांडेय के कार्यकाल में (वर्ष 2004) हुई नियुक्ति का मामला उठाया है। उन्‍होंने लिखा है कि उस वक्‍त विज्ञापित पदों से अधिक पदों पर नियुक्ति हुई है। उम्र सीमा की अनदेखी की गई है। शैक्षणिक योग्‍यता में भी अनियमितता बरती गई है। आरक्षण नियमावली और रोस्‍टर का पालन भी नहीं किया गया है। आरक्षण रोस्‍टर संबंधी पालन नहीं किए जाने के कई उदाहरण भी दिए हैं। उन्‍होंने कहा कि शैक्षणिक पदों के लिए नेट और पीएचडी की अनिवार्यता को शिथिल किया गया था। इसका उल्‍लेख विज्ञापन में किया गया है।

ओएसडी की रिपोर्ट भी भेजी
श्री हेमरोम ने परिषद को राज्‍यपाल सचिवालय के तत्‍कालीन ओएसडी (जे) आलोक कुमार सेनगुप्‍ता की रिपोर्ट भी भेजी थी। उस रिपोर्ट में नियुक्ति में बरती गई अनियमितता का बिंदुवार ब्‍यौरा दिया गया है। विज्ञापित पद और इसके विरुद्ध की गई नियुक्ति का उल्‍लेख भी किया गया है।

राजबाला का पत्र भेजा
तत्‍कालीन कृषि सचिव राजबाला वर्मा के 16 जनवरी 2007 के आदेश को भी भेजा। उक्‍त आदेश में सचिव ने कुलपति को अवैध नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया है। इसमें भी बिंदुवार अनियमितता का जिक्र किया गया है। उन्‍होंने अपने पत्र में लिखा था कि पूर्व में भी अवैध नियुक्तियों को रद्द करने का निर्देश विभाग ने दिया था। अवैध नियुक्तियों को रद्द नहीं करना विभाग के निर्देशों की अवहेलना है।

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