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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर नहीं चलेगा महाभियोग

नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को ‘पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने’ संबंधी कांग्रेस एवं अन्य दलों के महाभियोग नोटिस में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए उसे नामंजूर कर दिया। नायडू ने राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा से कहा है कि वह कांग्रेस सहित सात दलों का नोटिस नामंजूर होने की जानकारी सभी संबंधित सदस्यों को दे दें। इस फैसले पर पहुंचने से पहले उन्होंने इस नोटिस के सभी पहलुओं पर कानूनविदों और संविधान विशेषज्ञों से विचार विमर्श करने के अलावा शीर्ष न्यायविदों की सार्वजनिक प्रतिक्रया पर भी संज्ञान लिया है।

इन कारणों से नायडू ने नहीं दी महाभियोग की इजाजत
  • सभापति ने दस पन्ने के अपने आदेश में कहा है कि न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ लगाए गए आरोप पुख्ता नहीं हैं।     
  •  न्यायमूर्ति मिश्रा पर लगाए गए कदाचार के आरोपों को प्रथम दृष्टया संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के दायरे से बाहर पाए जाने के कारण इन्हें अग्रिम जांच कराने के योग्य नहीं माना जा सकता है।    
  • अनुच्छेद 124 (4) के अनुसार ‘‘सिद्ध कदाचार’’ और ‘‘अक्षमता’’ के आधार पर ही किसी न्यायाधीश को पद से हटाया जा सकता है। जबकि प्रस्तुत मामले में न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ लगाये गए आरोपों के लिए पेश दलीलों में ‘अनिश्चितता’ के कारण नोटिस को स्वीकार करने का पुख्ता आधार नहीं माना जा सकता है।
  • ‘‘प्रत्येक आरोप और इसके प्रत्येक आधार के सभी पहलुओं की विवेचना के लिए कानूनविदों और विशेषज्ञों से विस्तार से विचार विमर्श के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि यह प्रस्ताव स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।’’     
  • प्रस्ताव में लगाए गए आरोपों का गंभीरता और सावधानीपूर्वक विश्लेषण के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘‘हम व्यवस्था के किसी भी स्तंभ को विचार, शब्द या कार्यकलापों के द्वारा कमजोर करने की अनुमति नहीं दे सकते।’’     

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