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पारा शिक्षकों का सीधे समायोजन संभव नहीं


  • मुख्‍य सचिव ने कहा दो टूक
  • लिखित पत्र मिलने पर आंदोलन स्‍थगित
रांची। वर्तमान संदर्भ में सीधे नियमित शिक्षक के रूप में पारा शिक्षकों का समायोजन संभव नहीं है। मुख्‍य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने झारखंड राज्य एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्‍यों को बातचीत में दो टूक कहा है। हालांकि उन्‍होंने आश्‍वास्‍त किया कि उनकी मांगों के प्रति सकारात्‍मक रूख रखते हुए सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।

पारा शिक्षको को वार्ता का लिखित हस्ताक्षरित पत्र मंगलवार को मिल जाने के बाद वर्तमान में आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है। यह जानकारी मोर्चा के सदस्य संजय दूबे, सिन्टु सिंह, ऋषिकेश पाठक, नरोत्तम सिंह मुंडा, विनोद विहारी महतो, दशरथ ठाकुर, बजरंग प्रसाद, मोहन मंडल ने दी। उन्‍होंने राज्‍य के सभी पारा शिक्षकों से आह्वान किया है कि बुधवार से अपने विघालय में पुन: शिक्षण कार्य संपादित करें।

जारी पत्र में कहा गया है कि मुख्‍य सचिव ने उपस्थित पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी मांगों को गहनता से देंखे। इसके अनुपालन की स्थिति में आनेवाले तथ्‍यात्‍मक परिणामों की विवेचना करें। मांगों पर चर्चा के लिए गठित कमेटी में मोर्चा के तीन प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। कमेटी विभिन्‍न राज्‍यों में पारा शिक्षकों से संबंधित नियम/मानकों आदि का अध्‍ययन करते हुए राज्‍य के संदर्भ में स्‍पष्‍ट प्रस्‍ताव 60 दिनों में मुख्‍य सचिव को देगी।

ये मुख्‍य मांगे
पारा शिक्षकों की सेवा का स्‍थायीकरण हो
60 साल की उम्र तक सेवा
अन्‍य राज्‍य की सुविधा के क्रम में वेतनमान की सुविधा
भविष्‍य सुरक्षा के साथ-साथ परिवार की सुरक्षा
टेट उत्‍तीर्णता प्रमाण पत्र की समय सीमा का विस्‍तार केंद्रीय टीईटी के समतुल्‍य किया जाए।
शिक्षक नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर पुराने पारा शिक्षक को अनुभव के आधार पर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की तरह लाभ दें।

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