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पंजाब रेजिमेंट के जवानों ने जानी कृषि की उन्‍नत तकनीक

रांची। पंजाब रेजिमेंट केंद्र, रामगढ़ के भारतीय सेना के जवानों को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग और कृषि अभियांत्रिकी विभाग में उन्नत कृषि तकनीकों एवं कृषि मशीनरी की जानकारी मिली। प्रधानमंत्री विकास योजना के अधीन जैविक उत्पादक पाठ्यक्रम कार्यक्रम के तहत उन्‍हें यह जानकारी दी गई। बीएयू के कुलपति डॉ परविन्दर कौशल ने बताया कि 27 जवानों के इस दल को मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन तकनीक के तहत टिकाऊ खेती के लिए मिट्टी जांच की आवश्यकता, वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन, धान की खेती में अजोला के महत्त्व और दलहनी एवं तेलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर का उपयोग की जानकारी दी गयी।

जवानों को बताया गया कि टिकाऊ कृषि प्रणाली में फसल बुवाई के पहले खेत की तैयारी और मिट्टी की जांच कराना जरूरी है। फसल कटाई के बाद तुरंत अगली फसल के लिए खेतों की तैयारी की जानी चाहिए। इसके लिए खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी के अधिक गरम होने पर खेत में मौजूद कीड़े-मकोड़े और अन्य मृदा जनित रोगों से निदान पाया जा सके। अगली खरीफ फसल लेने से पहले मिट्टी की जांच के लिए मिट्टी नमूना लेने का अभी उत्तम समय है। मिट्टी के नमूनों की जांच प्रतिवेदन 15-20 दिनों के बाद मिल जाता है। जवानों को टपक सिचाई विधि से उर्वरीकरण की तकनीक तथा सूक्ष्म सिचाई पद्धति से खेती की तकनीक को भी बताया गया। प्लास्टिक लो टनल एवं मल्च तकनीक से अधिक फसल उत्पादन के गुर बताये गये। सूबेदार देशराज और हवालदार मनोज ने नेतृत्व में जवान यहां आए थे।

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