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अंजुमन इस्लामिया: 100 साल के इतिहास में पहली महिला मतदाता बनी नाजिया तब्बसुम

रांची। अंजुमन इस्लामिया राँची के 100 साल के इतिहास में पहली महिला मतदाता बनी नाजिया तब्बसुम। लम्बे संर्घष और प्रयास के बाद 2018 में झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश से हो रहे चुनाव में मताधिकार पाने के लिए नाजिया तबब्सुम ने अंजुमन इस्लामिया के चुनाव संयोजक को आवेदन दिया था। जिसके बाद मतदाता सूची में नाम प्रकाशित किया गया। आज मौलाना आजाद काँलेज राँची में अंजुमन इस्लामिया राँची के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और 12 कार्यकारी सदस्य के पद के लिए हो रहे चुनाव में वोट डाल कर नाजिया तबब्सुम ने इतिहास रच दिया।

मालूम हो कि अंजुमन इस्लामिया राँची में महिला भागीदारी को लेकर 2008 के चुनाव में नाजिया ने अंजुमन राँची में आवेदन किया था, लेकिन ये कहते हुए वोटर लिस्ट में नाम प्रकाशित नही किया गया कि अंजुमन में महिला सदस्य नही बन सकती और इस मामले पर काफी विवाद पैदा किया गया। तब महिला भागीदारी को लेकर नाजिया तबब्सुम ने राज्य महिला आयोग में याचिका दायर किया, जिसपर महिला आयोग की लक्ष्मी सिंह ने याचिकाकर्ता और अंजुमन पक्ष के बीच लम्बी सुनवाई कर आदेश दिया कि अंजुमन इस्लामिया के बायलाँज में महिला सदस्य नही बन सकती ऐसा कोई रोक नही है, इसलिए महिला को भी सदस्य बनाया जाए। परंतु उस वक्त बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अंजुमन इस्लामिया राँची के गलत तरीकों से हो रहे चुनाव पर रोक लगा दिया।

इधर 2008 में झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के गठ़न होने के बाद 2010 में अंजुमन राँची को वक्फ बोर्ड ने टेकवोभर कर लिया और 2013 में अंजुमन इस्लामिया राँची के चुनाव करवाया। इसपर नाजिया ने महिलाओं को वोटर बनाने के लिए आवेदन दिया। इसपर कुछ लोगों ने एतराज जाताते हुए विरोध शुरू कर दिया था, फिर नाजिया ने भारतीय  संवैधानिक में मिले समानता के अधिकार, महिला अधिकारी और मुस्लिम पर्सनल लाँ बोर्ड को आधार बनाकर राज्य अल्पसंख्यक आयोग में सुनवाई के लिए याजिका दायर किया, जिसपर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष शाहिद अख्तर ने वक्फ बोर्ड के सीईओ और अंजुमन के चुनाव संयोजक के बीच सुनवाई करते हुए नाजिया तबब्सुम को मताधिकार देने का निर्देश दिया।

अंजुमन के चुनाव ने वोटर लिस्ट में नाम तो प्रकाशित किया, लेकिन चुनाव आखिर दिन तक पहचान पत्र नही दिया। जिसके कारण 2013 के अंजुमन चुनाव में नाजिया वोट डालने से वंजित रह गई, लेकिन उन्होंने संर्घष करना नही छोड़ा और सरकार और सम्बंधित अधिकारयों के पास महिला भागीदारी सुनिश्चित करवाने के लिए अभियान चलाते रही। आज 09 साल बाद अंजुमन इस्लामिया राँची के चुनाव में वोट डाल कर पहली महिला वोटर होने का गौरव हासिल किया है।

नाजिया से बात करने पर उसने कहां कि समाज में महिला से जुड़े कई मामले है, गरीब, विधवा, यातिम और बेसहारा महिलाओं और लड़कियों को मुख्यधारा में लाने उन्हें रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य उनके रहने के लिए और शादी जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर समाजिक स्तर पर काम नही हुए है जिसपर काम करने की जरूरत है। इस अभियान में साथ देने के लिए अपने पति शामिम अली अपने माता-पिता, सुसराल वाले के साथ झारखंड छात्र संघ और आमया संगठन के प्रति भी आभार जताया। ज्ञात हो कि 2007 में देश में पहली मुस्लिम लड़की के रूप मे विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में राँची विश्वविद्यालय से चुनाव जीतने का गौरव प्राप्त है।

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