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हजारों आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका उतरीं सड़क पर, 32 हजार केंद्र बंद

रांची। राज्य के हजारों आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका अपनी मांगों को लेकर केंद्र बंद कर सोमवार को सड़क पर उतर आईं। ये अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं। इसके कारण राज्य के 32,000 आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लग गया है। आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन के बैनर तले सोमवार को हजारों सेविका और सहायिका 9 सूत्री मांगों को लेकर धरने पर चलीं गईं हैं। 

 लिखित वार्ता के बाद भी नहीं पूरी हुई मांग
प्रदर्शनकारियों ने मोरहाबादी मैदान से लेकर राजभवन तक मुख्यमंत्री आवास मार्च किया। पुलिस ने इनका रूट बदलकर राज भवन की ओर डायवर्ट कर दिया गया। राजभवन के समीप आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकुंद सहाय ने कहा कि विगत 23 जनवरी को 9 सूत्री मांगों को लेकर वे लोग 17 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे। इस बीच महिला बाल विकास सामाजिक सुरक्षा विभाग की प्रधान सचिव से लिखित वार्ता हुई। वार्ता में मांगों को 3 माह के अंदर पूरा करने का निर्णय लिया गया। पर अब 6 मई बीत जाने के बाद भी इन मांगों को पूरा नहीं किया गया। इससे नाराज सेविका और सहायिका अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं। हड़ताल के पहले दिन मुख्यमंत्री आवास का मार्च किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से मांग की गई कि जब तक लिखित वार्ता के अनुसार बनी सहमति को लागू नहीं किया जाएगा तब तक आंगनबाड़ी केंद्र नहीं खुलेंगे।

क्या है मांग
  • मानदेय वृद्धि, कुल वार्षिक मानदेय 72,000 से बढ़े, महिला पर्यवेक्षिका के चयन में आंगनबाड़ी सेविका के अधिकतम उम्र सीमा को बढ़ाने की मांग।
  •  चयनमुक्त आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को वापस कर्तव्य पर रखने की प्रक्रिया।
  •  राज्य सरकार के अधिकारियों की तरह आकस्मिक अवकाश का दिन निर्धारित करना।
  •  गर्मी छुट्टी देना, मिनी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को आंगनबाड़ी सेविका के बराबर मानदेय देना।
  •  सेवानिवृत्ति की उम्र 7 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने, सेविका एवं सहायिकाओं की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें विदाई देना।
  •  आंगनबाड़ी के बच्चों की ड्रेस की सुविधा प्रदान करना, आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को ड्रेस देने।
  •  सेविका और सहायिका उनके परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सेविका और सहायिका में चयन।
  •  2016 की हड़ताल अवधि में मानदेय का भुगतान करना सहित कई मांगे शामिल हैं।

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