एशिया-प्रशांत पॉवर इंडेक्स में भारत चौथा सबसे शक्तिशाली देश
न्यूयार्क। एशिया-प्रशांत पॉवर इंडेक्स में भारत चौथा
सबसे शक्तिशाली देश माना गया है। लोवी इंस्टीट्यूट ने इस क्षेत्र में मौजूद
25 देशों की क्षमता का आकलन किया था। आस्ट्रेलियन थिंक टैंक की रिपोर्ट
में अमेरिका नंबर एक पर काबिज है तो चीन दूसरे नंबर पर जगह बनाए है। थिंक
टैंक ने आठ बिंदुओं पर 25 देशों की क्षमता का आकलन किया था। इनमें आर्थिक
संसाधन, सैन्य क्षमता, भविष्य के कदम, राजनयिक प्रभाव, आर्थिक सहयोग, रक्षा
नेटवर्क, सांस्कृतिक प्रभाव व लचीलापन को पैमाना बनाया गया था।
ओवर आल रैंकिंग में भारत चौथे नंबर पर है। हालांकि विभिन्न मामलों में उसकी क्षमता को अलग-अलग तरह से आंका गया है। आर्थिक संसाधन, सैन्य क्षमता, राजनयिक प्रभाव के मामले में भारत चौथे नंबर पर है तो लचीलेपन में उसकी रैंक पांचवी है। सांस्कृतिक प्रभाव व भविष्य के मामले में वह तीसरे नंबर पर है।
आर्थिक संबंध में उसकी क्षमता संदेह के घेरे में है और थिंक टैंक ने उसे सातवें व डिफेंस नेटवर्क के मामले में उसे दसवें नंबर पर रखा गया है। 2016 से 2030 तक भारत की वृद्धि दर 169 फीसद रहने का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक उसके पास 16 करोड़ 90 लाख कामगारों की फौज होगी। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि आर्थिक संसाधनों के उपयोग के मामले में भारत को कमजोर माना जा रहा है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी का बहुत ज्यादा असर नहीं दिख रहा।
अमेरिका ने नंबर दो पर काबिज चीन से दस अंकों की बढ़त हासिल कर रखी है। आठ में से पांच मोर्चें पर उसने नंबर एक की हैसियत बनाकर रखी है। सैन्य तालमेल के मामले में अमेरिका को एशिया में नंबर एक माना जा रहा है। डिफेंस नेटवर्क में भी वह चीन से 65 अंकों की बढ़त बनाए हुए है। अलबत्ता, आर्थिक साझेदारी के मोर्चे पर अमेरिका चीन से 30 अंकों से पिछड़ गया। वन बेल्ट वन रोड परियोजना से चीन ने यहां अमेरिका को काफी पीछे छोड़ दिया।
खास बात है कि चार में से विश्व की तीन सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्थाएं एशिया में मौजूद हैं। थिंक टैंक का मानना है कि 2030 तक विश्व की दो तिहाई आबादी एशिया से होगी और भविष्य का कोई बड़ा युद्ध इस बात पर निर्भर करेगा कि एशिया की बड़ी ताकतों का उस विवाद पर क्या रुख रहता है।रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के घटते राजनयिक प्रभाव के पीछे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गलत विदेश नीति व नर्वसनेस है। रिपोर्ट ने रूस, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान, ताईवान, फिलीपींस व उत्तर कोरिया को मध्यम दर्जे की शक्ति माना है।
ओवर आल रैंकिंग में भारत चौथे नंबर पर है। हालांकि विभिन्न मामलों में उसकी क्षमता को अलग-अलग तरह से आंका गया है। आर्थिक संसाधन, सैन्य क्षमता, राजनयिक प्रभाव के मामले में भारत चौथे नंबर पर है तो लचीलेपन में उसकी रैंक पांचवी है। सांस्कृतिक प्रभाव व भविष्य के मामले में वह तीसरे नंबर पर है।
आर्थिक संबंध में उसकी क्षमता संदेह के घेरे में है और थिंक टैंक ने उसे सातवें व डिफेंस नेटवर्क के मामले में उसे दसवें नंबर पर रखा गया है। 2016 से 2030 तक भारत की वृद्धि दर 169 फीसद रहने का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक उसके पास 16 करोड़ 90 लाख कामगारों की फौज होगी। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि आर्थिक संसाधनों के उपयोग के मामले में भारत को कमजोर माना जा रहा है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी का बहुत ज्यादा असर नहीं दिख रहा।
अमेरिका ने नंबर दो पर काबिज चीन से दस अंकों की बढ़त हासिल कर रखी है। आठ में से पांच मोर्चें पर उसने नंबर एक की हैसियत बनाकर रखी है। सैन्य तालमेल के मामले में अमेरिका को एशिया में नंबर एक माना जा रहा है। डिफेंस नेटवर्क में भी वह चीन से 65 अंकों की बढ़त बनाए हुए है। अलबत्ता, आर्थिक साझेदारी के मोर्चे पर अमेरिका चीन से 30 अंकों से पिछड़ गया। वन बेल्ट वन रोड परियोजना से चीन ने यहां अमेरिका को काफी पीछे छोड़ दिया।
खास बात है कि चार में से विश्व की तीन सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्थाएं एशिया में मौजूद हैं। थिंक टैंक का मानना है कि 2030 तक विश्व की दो तिहाई आबादी एशिया से होगी और भविष्य का कोई बड़ा युद्ध इस बात पर निर्भर करेगा कि एशिया की बड़ी ताकतों का उस विवाद पर क्या रुख रहता है।रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के घटते राजनयिक प्रभाव के पीछे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गलत विदेश नीति व नर्वसनेस है। रिपोर्ट ने रूस, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान, ताईवान, फिलीपींस व उत्तर कोरिया को मध्यम दर्जे की शक्ति माना है।
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