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झारखंड में ई-वे बिल पोर्टल पर सिर्फ 5,000 निबंधन

रांची। ई-वे बिल एक इलेक्ट्रॉनिक बिल है। 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य के वस्तुओं के मामलों में किसी भी सामान की आवाजाही के लिए आवश्यक है। ई-वे बिल जेनरेशन के लिए अलग पोर्टल बनाया गया है। हर पंजीकृत करदाता को ट्रांसफर करने वाले सामान के साथ ई-वे बिल की आवश्यकता होगी। अपंजीकृत व्यक्तियों या कारोबारियों को भी ई-वे बिल उत्पन्न करने की आवश्यकता होगी। हालांकि जहां किसी पंजीकृत व्यक्ति को एक अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा सामान की आपूर्ति की जाती है, तो रिसीवर को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी अनुपालन पूरा हो जाए। अगर सप्लायर ने ई-वे बिल तैयार नहीं किया है, तो उस केस में ट्रांसपोर्टर को भी ई-वे बिल बनाना होगा। उक्त बातें एसजीएसटी के स्टेट ऑफिसर ब्रजेश कुमार ने चैंबर भवन मंे कहीं। यहां 30 जनवरी को ई वे बिल पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन का आयोजन किया गया था। चैंबर और वाणिज्यकर विभाग ने संयुक्त रूप् से इसका आयोजन किया था। उन्होंने कहा कि 1 फरवरी से ई-वे बिल इंटर स्टेट और इंट्रा स्टेट एक साथ पूरे 13 राज्यों में लागू हो रहा है। वर्तमान तिथि तक झारखंड में ई-वे बिल पोर्टल पर सिर्फ 5,000 निबंधन ही हुए हैं।

ये है बिल की वैधता
ब्रजेश कुमार ने कहा कि अगर किसी माल का परिवहन 100 किमी तक होना है तो उसके लिए बना ई-वे बिल सिर्फ 1 दिन है। यदि माल का परिवहन 100 से 300 किमी के बीच होना है, उसका ई-वे बिल तीन दिन। माल का परिवहन 300 से 500 किमी के बीच होना है तो उसका ई-वे बिल 10 दिन के लिए और माल का परिवहन 1000 किमी से अधिक होने पर उसका ई-वे बिल 15 दिन तक के लिए मान्य होगा। यह भी कहा कि किसी एक राज्य के भीतर अगर 10 किमी के दायरे में माल भेंजा जा रहा है तो उसके लिए ई-वे बिल बनाने की आवश्यकता नहीं है। नॉन-मोटराईज्ड वेहिकल से गुड्स भेंजने पर तथा जीएसटी में नॉन एक्जमटेंड गुड्स के परिवहन पर भी ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं है। कन्सॉलिडेटेड ई-वे बिल बनाने के लिए अलग फॉर्म भरना होगा। कन्सॉलिडेटेड ई-वे बिल में एक ही व्हीकल में अलग-अलग डीलर्स, प्रोडक्ट का सामान भेंजने पर कन्सॉलिडेटेड ई-वे बिल बनेगा। ये कन्सॉलिडेटेड ई-वे बिल ज्यादातर ट्रांस्पोर्टस को भरना होगा। ट्रांस्पोटर्स अलग-अलग डीलर्स के लिए एक कन्सॉलिडेटेड ई-वे बिल बना सकता है। राज्य के अंदर ही वस्तुओं को ट्रांस्पोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा, जबकि एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेंजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनेगा।
दो माह स्थगित हो बिल
चैंबर उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्णवाल ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि 1 फरवरी से ई-वे बिल को लागू किये जाने की सूचना से व्यवसायी, उद्यमी और विशेषकर परिवहन व्यवसायियों के बीच संशय की स्थिति बनी हुई हैं। कई राज्यों में इंट्रा स्टेट ई-वे बिल को तीन महीने के लिए आगे बढा दिया गया है। चूंकि जितने प्रावधान ई-वे बिल में किये गये हैं इससे छोटे व्यवसायी, छोटे ट्रांसपोर्टर भयभीत नजर आ रहे हैं। जीएसटी के अन्य कई कार्यों में अधिकाधिक व्यस्तता के कारण कर सलाहकार भी इस सिस्टम को पूर्ण तरीके से नहीं समझ पा रहे हैं, ऐसे में व्यवसायी और ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल के सिस्टम को समझना नामुमकिन प्रतीत होता है। उन्होंने राज्य के अंदर लागू किये गये ई-वे बिल को दो महीने के लिए स्थगित किये जाने की मांग की। एक अप्रैल 2018 से राज्य के अंदर ई-वे बिल को लागू करने की बात कही। विभागीय अधिकारी आरपी वर्णवाल ने इस मामले को जीएसटी परिषद् के पास निर्गत करने का आश्वासन दिया। कहा कि ई-वे बिल के तहत होनेवाली समस्याओं को विभाग नियमित रूप से दूर करेगा।

आठ फरवरी को फिर कार्यशाला
कार्यशाला में भारी संख्या में व्यवसायियों ने हिस्सा लिया। पुनः 8 फरवरी को कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया गया। विभाग की ओर से ब्रजेश कुमार के अलावा, संयुक्त आयुक्त आरपी वर्णवाल, वाणिज्यकर उपायुक्त अखिलेश शर्मा सहित चैंबर महासचिव कुणाल अजमानी, कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण लोहिया, पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा, उप समिति चेयरमेन ज्योति पोद्दार, सदस्य किशन अग्रवाल, मनीष सर्राफ, परेश गट्टानी, अमित शर्मा, संजय जैन, सुनिल सिंह चौहान, एसबी सिंह के अलावा ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन सहित सैकडों व्यापारी उपस्थित थे।

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