देवघर: समाज का निर्माण किसी एक से नहीं बल्कि बहुत सारे लोगों से होता है: DC
देवघर। उपायुक्त श्री राहुल कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में सूचना भवन के सभागार में ‘‘झारखण्ड खेल नीति-युवा नीति’’ पर परिचर्चा हेतु प्रमंडलीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर उपायुक्त द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई एवं वहाँ उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज का निर्माण किसी एक व्यक्ति से नहीं बल्कि बहुत सारे लोगों से होता है, जो कि अलग-अलग कार्य कर उसमें निपुणता हासिल करते हैं। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि समाज का समग्र विकास तभी हो सकता है, जब हर क्षेत्र में अव्वल आने वाले लोग एक साथ मिलकर रहें। जीवन में खेल-कूद के महत्व पर बल देते हुए उपायुक्त ने कहा कि खेल-कूद को वर्तमान में जिस प्रकार का प्रोत्साहन मिलना चाहिये- वह उसे नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि सरकार द्वारा अच्छी खेल नीति बनाकर इस क्षेत्र में संभावनाओं में वृद्धि लायी जाय; ताकि समाज के सभी वर्ग के लोगों को इससे जोड़ा जा सके। वहीं उन्होंने विद्यालयों में खेल प्रशिक्षकों द्वारा छोटे स्तर से हीं बच्चों को खेल-कूद का प्रशिक्षण दिये जाने की बात भी कही एवं कहा कि बच्चों को अनुशासन एवं टीम वर्क की शिक्षा देने का खेल एक सशक्त माध्यम है। इसके माध्यम से बच्चों में अनुशासित ढंग से कार्य करने एवं परस्पर सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।
साथ हीं उन्होंने सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों में खेल को अनिवार्य विषय में शामिल कर बच्चों के खेल प्रतिभा को विकसित करने की बात भी कही। साथ हीं कहा कि लगभग हर व्यक्ति अपने बालपन में किसी न किसी खेल से जुड़े होते हैं, परन्तु वयस्क होने पर खेल अनुरूप परिवेष के अभाव में एवं गृहस्थ जीवन व व्यवसायिक व्यस्तताओं की वजह से लोग शारीरिक गतिविधियों से पूरी तरह कट जाते हैं; जिससे लोगों को कई प्रकार के शारीरिक व्याधियों यथा- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पक्षाघात एवं हृदय संबंधी बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में आवश्यक है कि अपने अन्य कार्यों की हीं तरह हम खेल-कूद को भी अपने दिनचर्या में शामिल करें; ताकि हम शारीरिक रूप स्वथ्य रहें। साथ हीं खेल को भी बढ़ावा मिल सके। इसके अलावा उन्होंने वहाँ उपस्थित खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग के प्रतिनिधि एवं खेल जगत से जुड़े बुद्धिजीवि वर्ग के लोगों से आग्रह किया कि वे आगे आकर ‘‘झारखण्ड खेल नीति-युवा नीति’’ से संबंधित अपने-अपने सुझाव दें; ताकि उनपर अमल कर एक अच्छी खेल नीति बनायी जा सके।
मौके पर कला संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग के उप-निदेशक ने कहा कि खेल-कूद एवं युवा कार्य निदेशालय द्वारा इस प्रकार के परिचर्चा का आयोजन इसके पूर्व चार प्रमण्डलों में किया जा चुका है एवं आज देवघर में संताल परगना प्रमण्डल स्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया है; ताकि इस संबंध में लोगों का मंतव्य प्राप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि झारखण्ड खेल नीति के माध्यम से वास्तव में सरकार एक ऐसा माहौल तैयार करना चाहती है, जहाँ सभी खिलाड़ियों/एथलीटों को स्वास्थ्य, सुरक्षा, व्यावसायिक हितों एवं सामाजिक सुरक्षा की सुविधा प्रदान की जा सके।
जिला खेल पदाधिकारी छट्टू विजय सिंह ने कहा कि इस परिचर्चा के आयोजन का मुख्य उद्देश्य संताल परगना प्रमण्डल अन्तर्गत देवघर, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, साहेबगंज एवं पाकुड़ जिला के पूर्व वरीय खिलाड़ीगण, प्रशिक्षकगण, खेल संघों के पदाधिकारीगण, एन0सी0सी0, एन0एस0एस0, नेहरू युवा केन्द्र एवं खेल जगत से जुड़े लोगों का ‘‘झारखण्ड खेल नीति-युवा नीति’’ के संबंध में मंतव्य ज्ञात करना है; ताकि झारखण्ड खेल नीति में उन सब बिन्दुओं को समाहित कर एक अच्छी खेल नीति बनायी जा सके। साथ हीं उन्होंने वहाँ उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे आगे आकर उपर्युक्त विषय के संबंध में अपने-अपने विचार रखें। इसके अतिरिक्त वहाँ उपस्थित अन्य लोगों ने भी उपर्युक्त विषय के संबंध में अपने-अपने विचार रखे। परिचर्चा में उपरोक्त के अलावे जिला खेल पदाधिकारी, लातेहार, उमा जायसवाल, कार्यपालक दण्डाधिकारी, प्रवीण प्रकाश, जिला खेल प्राधिकरण के सचिव आशिष झा आदि उपस्थित थे।
साथ हीं उन्होंने सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों में खेल को अनिवार्य विषय में शामिल कर बच्चों के खेल प्रतिभा को विकसित करने की बात भी कही। साथ हीं कहा कि लगभग हर व्यक्ति अपने बालपन में किसी न किसी खेल से जुड़े होते हैं, परन्तु वयस्क होने पर खेल अनुरूप परिवेष के अभाव में एवं गृहस्थ जीवन व व्यवसायिक व्यस्तताओं की वजह से लोग शारीरिक गतिविधियों से पूरी तरह कट जाते हैं; जिससे लोगों को कई प्रकार के शारीरिक व्याधियों यथा- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पक्षाघात एवं हृदय संबंधी बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में आवश्यक है कि अपने अन्य कार्यों की हीं तरह हम खेल-कूद को भी अपने दिनचर्या में शामिल करें; ताकि हम शारीरिक रूप स्वथ्य रहें। साथ हीं खेल को भी बढ़ावा मिल सके। इसके अलावा उन्होंने वहाँ उपस्थित खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग के प्रतिनिधि एवं खेल जगत से जुड़े बुद्धिजीवि वर्ग के लोगों से आग्रह किया कि वे आगे आकर ‘‘झारखण्ड खेल नीति-युवा नीति’’ से संबंधित अपने-अपने सुझाव दें; ताकि उनपर अमल कर एक अच्छी खेल नीति बनायी जा सके।
मौके पर कला संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग के उप-निदेशक ने कहा कि खेल-कूद एवं युवा कार्य निदेशालय द्वारा इस प्रकार के परिचर्चा का आयोजन इसके पूर्व चार प्रमण्डलों में किया जा चुका है एवं आज देवघर में संताल परगना प्रमण्डल स्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया है; ताकि इस संबंध में लोगों का मंतव्य प्राप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि झारखण्ड खेल नीति के माध्यम से वास्तव में सरकार एक ऐसा माहौल तैयार करना चाहती है, जहाँ सभी खिलाड़ियों/एथलीटों को स्वास्थ्य, सुरक्षा, व्यावसायिक हितों एवं सामाजिक सुरक्षा की सुविधा प्रदान की जा सके।
जिला खेल पदाधिकारी छट्टू विजय सिंह ने कहा कि इस परिचर्चा के आयोजन का मुख्य उद्देश्य संताल परगना प्रमण्डल अन्तर्गत देवघर, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, साहेबगंज एवं पाकुड़ जिला के पूर्व वरीय खिलाड़ीगण, प्रशिक्षकगण, खेल संघों के पदाधिकारीगण, एन0सी0सी0, एन0एस0एस0, नेहरू युवा केन्द्र एवं खेल जगत से जुड़े लोगों का ‘‘झारखण्ड खेल नीति-युवा नीति’’ के संबंध में मंतव्य ज्ञात करना है; ताकि झारखण्ड खेल नीति में उन सब बिन्दुओं को समाहित कर एक अच्छी खेल नीति बनायी जा सके। साथ हीं उन्होंने वहाँ उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे आगे आकर उपर्युक्त विषय के संबंध में अपने-अपने विचार रखें। इसके अतिरिक्त वहाँ उपस्थित अन्य लोगों ने भी उपर्युक्त विषय के संबंध में अपने-अपने विचार रखे। परिचर्चा में उपरोक्त के अलावे जिला खेल पदाधिकारी, लातेहार, उमा जायसवाल, कार्यपालक दण्डाधिकारी, प्रवीण प्रकाश, जिला खेल प्राधिकरण के सचिव आशिष झा आदि उपस्थित थे।
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