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अमेरिकी युवाओं को रंग और हिंदी ने बनाया दीवाना

  • शिकागो से मंजुला सिंह
शिकागो। भारतीय त्‍योहार, देवी देवताओं की तस्‍वीरें पश्चिमी देशों को हमेशा से आकर्षित करते हैं। ओम, गणेश, कृष्‍ण और अन्‍य देवी-देवताओं की तस्‍वीरों में पश्चिमी देशों को रहस्‍मयी खुबसुरती दिखती है। इस बार देवनागरी और होली रंगों के मिश्रण ने अमेरिकी युवाओं को दीवाना बना दिया है। कुछ ही दिनों पहले जाने-माने अमेरिकी कलाकार फारेरल विलियम्स ने एडीडास के साथ गठबंधन कर अनूठे एथलेटिक्‍स जूते लांच किए। ये जूते होली की थीम पर डिजाईन किए गए हैं। होली के रंगों में रंगे इन जूतों पर देवनागरी में लिखा है- संसार’, ‘इंसान’, ‘रंगआदि। फारेरल विलियम्‍स भारत की होली से इतने प्रभावित हुए कि रंग उनके दिलों-दिमांग में छा गया। उन्‍होंने होली के रंगों को एडीडास जूते और टी शर्ट पर उतार दिया।
लांच होते आउट ऑफ स्‍टॉक
एडीडास ने इन जूतों की कीमत 250 डॉलर रखी। लांच होते ही ये जूते इतने हिट हुए कि आउट ऑफ स्‍टॉक हो गए। इन जूतों की मांग इतनी ज्‍यादा है कि अब लोग 500 से 600 डॉलर देकर खरीद रहे हैं। शिकागो के एक हाई स्‍कूल में पढ़ रहे कुछ अमेरिकी बच्‍चों से जब देवनागरी में लिखे इन शब्‍दों के अर्थ पूछा तो वे बता नहीं पाए, पर देवनागरी के ये अक्षर उन्‍हें कूलऔर फैशनेबललगते हैं। फारेरल विलियम्‍स ने भारत के रंग और हिंदी को स्‍टाईल में डालकर अमेरिकी युवाओं का दिल जीत लिया।
अस्‍था से खेलना पड़ा भारी
हालांकि दूसरी तरह वेफर जैसी ऑनलाईन पोर्टल को कटिंग बोर्ड पर गणेश की तस्‍वीर लगाने पर विरोध का सामना करना पड़ा। वेफर 'बिर्चवुड गोल्डन गणेश इलीफेंट कटिंग बोर्ड'  अपनी वेबसाईट पर 34.99 डॉलर में बेच रहा था। यूनिवर्सल सोसाईटी ऑफ हिन्‍दूज्‍म ने इसकी इसकी आलोचना की। उसके सदस्‍यों का कहना था कि गणेश की तस्‍वीर मंदिरों में पूजा करने के लिए है न कि सब्‍जी और मांस काटने के लिए। बहरहाल, वेफर ने 24 घंटे के भीतर वेबसाईट से कटिंग बोर्ड को हटा दिया। अमेरिकन इंडियन हिन्‍दू समुदाय से मांफी मांगी। वेबसाईट की त्‍वरित कार्रवाई से प्रवासी भारतीय काफी खुश हैं कि वेफर ने उनकी धार्मिक भावना को समझा। वैसे, कई हिन्‍दू संगठनों ने होली को एडीडास जूतों की थीम बनाए जाने पर फारेरल विमियम्‍स की भी आलोचना की है।
भावना को समझना जरूरी
जानकारों का कहना है कि भारत की भव्‍यता और अलौकिक सुंदरता बाहर के देशों को मंत्रमुग्‍ध कर देती है। हालांकि कई बार कला को नए रूप में पेश करने की कोशिश आस्‍था को ठेस भी पहुंचा देती है। आस्‍था के इन प्रतीकों की ताकत असीम है। ये लोगों के लिए भक्ति का माध्‍यम हैं। उन्‍हें रोजमर्रा के इस्‍तेमाल की चीजों में लाना उचित नहीं, क्‍योंकि ये बेवजह मतभेद पैदा करते हैं।

मंजुला सिंह

2 comments:

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  2. भारतीय सभ्यता एक ऐसी सभ्यता है जिसमे सब धर्म का मिश्रण है और ये सद्भावना और समृद्धि का प्रतीक है।। हालाँकि सबके विचार व्यक्त करने के अपने अपने तरीके है।। हिन्दू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो सभी विवादों को दूर कर पृथ्वी के सभी मनुष्यों को फिर से एक करने की क्षमता रखता है और प्यार का पाठ पढ़ा सकता है।। हम गौरान्वित है हमे भारतवर्ष के मिट्टी में जन्म लेने का सौभाग्य मिला है।। मंजुला जी आपने जिस तरह पाश्चात्य देश में हमारे देश के प्रभाव और भाईचारे को गौर करते हुए ये जानकारी हम तक पहुचाई है इसके लिए हम आपके आभारी है।।

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