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ड्रोन कैमरा से हुई पुरातात्विक महत्व वाले कबरा कला की फोटोग्राफी

पलामू। हैदरनगर प्रखंड अंतर्गत कबरा कलां गांव में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ,रांची के तत्वावधान में अबतक  उत्खनन बदस्तूर जारी है, जिसमें बूढ़ा-बूढ़ी स्थान से एक तथा देवी मंदिर- स्थल से कई टेराकोटा के रिंग वेल मिले हैं। अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ हरिओम शरण एवं सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ पूनम बिंद के कुशल नेतृत्व में कबरा कलां गांव के कई स्थानों पर पुरातात्विक उत्खनन चल रहा है। गुरुवार को उत्खनन व गांव की तस्वीरें व विडीओ बनाने के लिए सोन घाटी पुरातत्व परिषद जपला के द्वारा कोलकाता के फोटोग्रफरों को बुलाया गया। ड्रोन कैमरा को देखने गांव व आस पास के लोग बड़ी संख्या में जुट गये। प्रखंड विकास पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार रजक, पंचायत समिति सदस्य रामप्रवेश सिंह ने संयुक्त रुप से उत्खनन का जायजा लिया। उन्होंने उत्खनन में मिले पुरावशेषों को भी देखा। उनके साथ परिषद के सचिव तापस डे व सह सचिव रंजीत कुमार मौजुद थे।

कोलकाता से पहुंचे फोटोग्राफर रचित शाह ने कबरा कला में चल रही खुदाई के अलावा संपूर्ण गांव व आस पास का विडीओ व फोटो ड्रोन कैमरे की मदद से लिया। कैमरा उड़ने की खबर मिलते ही उसे देखने बच्चे, बुढ़े व युवा बड़ी संख्या में पहुंच गये। मालूम हो की कबरा कला के इतिहास को उजागर करने में प्रयत्नशील सोन घाटी पुरातत्व परिषद के सचिव तापस डे ने बताया कि कबरा कलां में विभिन्न व्यास एवं गहराई वाले रिंग वेल पहले भी मिले हैं,  जो वलयाकार टेराकोटा से निर्मित हैं। प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर के हवाले से परिषद के पदाधिकारियों ने बताया कि दो से ढाई हजार पुराने शहरों में नाली के पानी का निकास के लिए तथा जल स्तर को बनाए रखने के लिए रिंग वेल अर्थात पनसोखा गड्ढा बनाया जाता था।

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