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महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग नहीं रहे, एलियन पर की थी खोज

लंदन। ब्रिटेन के मशहूर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया है। वे 76 साल के थे। 1974 में ब्लैक हॉल्स पर असाधारण रिसर्च करके उसकी थ्योरी मोड़ देने वाले स्टीफन हॉकिन्स साइंस की दुनिया के बड़े नाम रहे हैं।उनकी किताब 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' दुनियाभर में काफी चर्चित रही थी। उनके बच्चों ने बयान में कहा, "वो एक महान वैज्ञानिक थे। उनका काम और विरासत बरसों तक हमारे बीच रहेगा।"

55 साल से मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित थे
हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को ऑक्सफोर्ड (ब्रिटेन) में हुआ था।1963 में हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन बीमारी का पता चला। उस वक्त उनकी उम्र महज 21 साल थी। तब उनके महज 2 साल जिंदा रहने की बात कही गई थी। इसके बाद वे कैम्ब्रिज में पढ़ने चले गए। अल्बर्ट आइंस्टीन के बाद हॉकिंग सबसे काबिल भौतिकविज्ञानी माने जाते थे। हॉकिंग पर 2014 में फिल्म द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग भी बनी। इसमें एडी रेडमेन और फेलिसिटी जोन्स ने प्रमुख भूमिका निभाई।

दुनिया को ब्लैक होल का रहस्य समझाया
1974 में हॉकिंग ब्लैक होल्स की थ्योरी लेकर आए। इसे ही बाद में हॉकिंग रेडिएशन के नाम से जाना गया। हॉकिंग ने ही ब्लैक होल्स की लीक एनर्जी के बारे में बताया।प्रोफेसर हॉकिंग पहली बार थ्योरी ऑफ कॉस्मोलॉजी लेकर आए। इसे यूनियन ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम मैकेनिक्स भी कहा जाता है। 1988 में उनकी ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम बुक पब्लिश हुई। इसकी एक करोड़ से ज्यादा कॉपियां बिकीं।

क्या है मोटर न्यूरॉन बीमारी
 मोटर न्यूरॉन बीमारी में ब्रेन के न्यूरो सेल पर असर होता है। 1869 में केरकांट के न्यूरोलाजिस्ट जॉन मार्टिन इस बीमारी का पता लगाया था। बीमारी को एम.एन.डी. के नाम से भी जाना जाता है।  एम.एन.डी दो स्टेज में होती है। पहले चरण में यह न्यूरॉन सेल को खत्म करता है। दूसरी स्टेज में ब्रेन से शरीर के अन्य अंगों तक सूचना पहुंचना बंद हो जाता है। इस बीमारी में मरीज को खाने, चलने, बोलने और सांस लेने करने में दिक्कत होती है।
 बीमारी बढ़ने के साथ ही मांसपेशियां कमजोर और ढीली पड़ने लगती है। शरीर के हर अंगों में सेंसेशन होता है लेकिन प्रतिक्रिया नहीं होती।

अपनी सफलता का राज बताते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी बीमारी ने उन्हें वैज्ञानिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की है। बीमारी से पहले वे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे, लेकिन बीमारी के दौरान उन्हें लगने लगा कि वे लंबे समय तक जिंदा नहीं रहेंगे तो उन्होंने अपना सारा ध्याना रिसर्च पर लगा दिया। हॉकिन्स ने ब्लैक हॉल्स पर रिसर्च की है।

उन्होंने एक बार कहा था- पिछले 49 सालों से मैं मरने का अनुमान लगा रहा हूं। मैं मौत से डरता नहीं हूं। मुझे मरने की कोई जल्दी नहीं है। उससे पहले मुझे बहुत सारे काम करने हैं। अपने बच्चों को स्टीफन ने टिप्स देते हुए कहा था - पहली बात तो यह है कि हमेशा सितारों की ओर देखो न कि अपने पैरों की ओर।

दूसरी बात कि कभी भी काम करना नहीं छोड़ो, कोई काम आपको जीने का एक मकसद देता है। बिना काम के जिंदगी खाली लगने लगती है। तीसरी बात यह कि अगर आप खुशकिस्मत हुए और जिंदगी में आपको आपका प्यार मिल गया तो कभी भी इसे अपनी जिंदगी से बाहर मत फेंकना।

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