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चतरा के लाल ने फिर किया कमाल, बना आईएएस

चतरा। शहर के मारवाड़ी मोहल्ला निवासी रिटायर्ड बैंककर्मी कृष्ण कुमार जायसवाल व शिक्षिका रेखा जायसवाल के इकलौते पुत्र निशांत कृष्ण ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। निशांत ने चौथे प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग के मुख्य परीक्षा में चौथी बार सफलता हासिल कर जिले व अपने माता-पिता का नाम रौशन किया है। यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस बनने की जिद ने निशांत को चौथे प्रयास में सफलता दिलाई है। 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी निशांत वर्तमान में मेघालय कैडर में पदस्थापित हैं। एक माह पूर्व शिलांग जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक कार्यरत निशांत को सरकार ने मेघालय-6 बटालियन का कमांडेंट बनाकर उनकी पोस्टिंग दिल्ली में कर दी है। वो अभी दिल्ली में पदस्थापित हैं। बाल काल से पढ़ाई में मेघावी रहे निशांत ने अपनी शुरुआती शिक्षा चतरा में ही ग्रहण किया था। मैट्रिक पास करने के बाद वो उच्च शिक्षा के लिए रांची चले गए। उसके बाद उन्होंने बीआईटी से इंजीनियरिंग पास कर कई वर्षों तक प्राइवेक कंपनी में नौकरी भी की। लेकिन आईएएस बनने की जिद में वे नौकरी छोड़कर दिल्ली चले गए। वहां वे यूपीएससी की तैयारी करने लगे और पहले प्रयास में ही मुख्य परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बन कर जिले का नाम रौशन कर दिया।

माँ सरकारी शिक्षिका व पिता हैं रिटायर्ड बैंककर्मी
यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बनने वाले निशांत कृष्ण के पिता कृष्ण कुमार जायसवाल रिटायर्ड बैंककर्मी हैं। भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया चतरा मुख्य शाखा में बतौर कैशियर कार्यरत निशांत के पिता दो वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत्त हुए हैं। वहीं उनकी माँ सरकारी शिक्षिका हैं। वो शहर के ही मध्य विद्यालय मारवाड़ी टोला में बतौर शिक्षिका कार्यरत हैं। निशांत के माता-पिता अपने बेटे की सफलता से खासे उत्साहित हैं। उन्होंने भगवान के साथ-साथ सभी का आभार जताया है। इधर शहरवासियों ने भी निशांत की सफलता को गौरव का छन बताते हुए बधाई दी है। निशांत के घर बधाई देने वालों का तांता लगा है।

चौथे प्रयास में बना आईएएस
2017 में आयोजित संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में 330 वाँ रैंक लाकर आईएएस बनने वाले निशांत पूर्व में भी यूपीएससी द्वारा आयोजित देश की सबसे कठिन परीक्षा पास कर चुके हैं। वे वर्ष 2014 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा में बैठे थे। पहले प्रयास में ही उन्होंने सफलता हासिल कर सभी को चौका दिया था। इस परीक्षा में आए रैंक के अनुसार उन्हें आईपीएस मिला था। उसके बाद उन्होंने 2015 में आयोजित परीक्षा को एक बार फिर पास कर आईपीएस क्वालीफाई किया था। जिसके बाद आईएएस बनने का सपना लेकर वर्ष 2016 में आयोजित यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में फिर शामिल हुए। लेकिन इस बार भी सफलता मिलने के बावजूद उनकी मनोकामना पूरी नहीं हो सकी। रैंक के मुताबिक उन्हें आईआरएस मिला। लेकिन अंततः निशांत के जिद ने 2017 की मुख्य परीक्षा परिणाम में उन्हें आईएएस बना ही दिया।

ननिहाल में भी है जश्न का माहौल
निशांत के आईएएस बनने के बाद मारवाड़ी मोहल्ला स्थित उनके ननिहाल में भी जश्न का माहौल है। पेशे से व्यवसाई उनके मामा आशीष जायसवाल अपने परिवार व दोस्तों के साथ निशांत के सफलता का जश्न मना रहे हैं।  रिजल्ट आते ही आशीष ने परिजनों व दोस्तों को मिठाई खिलाकर भगिना की सफलता की बधाई दी। आशीष ने बताया कि यह मेरे व मेरे परिवार के लिए गौरव का पल है। चतरा जैसे अतिपिछड़ा व उग्रवाद प्रभावित जिले का एक बच्चा आज देश के सर्वोच्च परीक्षा को पास कर शीर्ष पद पर काबिज होने जा रहा है। इससे ज्यादा गौरवान्वित पल कुछ नहीं हो सकता।

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