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नवनियुक्‍त चिकित्‍सकों को वेतन के लाले, इस्‍तीफा देने के मूड में


रांची। नवनियुक्‍त चिकित्‍सकों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। नियुक्ति के बाद से उन्‍हें एक बार भी वेतन नहीं मिला है। इससे उनमें आक्रोश पनप रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से सही जानकारी तक नहीं मिल रही है। अव्‍यवस्‍था से परेशानी डॉक्‍टर अब इस्‍तीफा देने के मूड में हैं।

जनवरी में हुई है नियुक्ति
जानकारी के मुताबिक एनआरएचएम के तहत जनवरी में राज्‍य में 208 एमबीबीएस डॉक्‍टरों की नियुक्ति हुई थी। अनुबंध पर बहाल इन डॉक्‍टरों को 51 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलना है। नियुक्ति के साथ इनकी पोस्टिंग राज्‍य के विभिन्‍न प्रखंड के अस्‍पतालों में की गई है। डॉक्‍टरों के मुताबिक उनकी ड्यूटी शिफ्ट में होती है। चार महीने से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। हालांकि अब तक एक बार भी उन्‍हें तनख्‍याह नहीं मिला है।

नहीं मिलता है जवाब
डॉक्‍टरों का कहना है कि वेतन भुगतान को लेकर कई बार विभाग के चक्‍कर लगा चुके है। वहां कोई जवाब नहीं मिलता है। पूछने पर कर्मी कहते हैं कि उनका काम ड्यूटी करना है। कुछ नियुक्ति पर आश्‍चर्य जताते हैं। कुछ सीधे मुंह बात तक नहीं करते हैं। डॉक्‍टरों का कहना है कि आखिर बिना वेतन के वे कितने दिनों तक काम करेंगे। उनकी अपनी जरूरत है। इसकी पूर्ति के लिए पैसे चाहिए।

कई छोड़ चुके हैं नौकरी
अव्‍यवस्‍था से परेशान होकर कई डॉक्‍टर नौकरी छोड़ चुके है। नौकरी छोड़ने वालों की संख्‍या वर्तमान में 58 है। आने वाले दिनों में इसके बढ़ने की आशंका है। उनका कहना है कि ऐसी सरकारी नौकरी से बेहतर प्राइवेट अस्‍पताल में काम करना है। सरकारी नौकरी में काम करने के साथ-साथ वेतन के लिए चिचौरी करनी पड़ती है। प्राईवेट में समय पर वेतन मिल जाता है। काम मरीजों को देखना है।

डॉक्‍टरों की है कमी
जानकारी के मुताबिक राज्‍य के अस्‍पतालों में पहले से डॉक्‍टरों की भारी कमी है। ऐसी स्थिति में वर्तमान में कार्यरत चिकित्‍सकों के इस्‍तीफा दे देने पर स्थिति और भयावह हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले डॉक्‍टर नहीं मिलेंगे।

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