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झारखंड के तीन लाख बच्चे टीकाकरण से वंचित

रांची। झारखंड में करीब तीन लाख बच्चें अभी भी बुनियादी टीकाकरण से वंचित हैं। इसकी एक वजह टीकाकरण के लाभ के बारे में जागरुकता की कमी है। वर्तमान मूल्यांकन इस बात की ओर इशारा करते हैं। टीकाकरण के बाद होने वाले प्रतिकूलताओं का डर और टीकाकरण सत्र के दौरान टीकों और टीका देने वालों की अनुपलब्धता भी इसकी एक वजह है। जानकारों की मानें तो 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों तक टीकाकरण को पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ऐसे बच्चों तक पहुंचना आवश्यक है।

झारखंड में टीकाकरण कवरेज 2005-06 में 34.2 प्रतिशत था। यह 2015-16 में बढकर 61.9 फीसदी पर पहुंच गया। शिशु मृत्यु मामले में झारखंड ने अच्छी प्रगति दर्ज की है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में लगभग 40 प्रतिशत तक कम आई है। एक अनुमान के मुताबिक 5 वर्ष से कम उम्र के 16,500 बच्चों के जीवन को सुरक्षित बनाया गया है। शिशु मृत्यु में भी 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

झारखंड में मिशन इंद्रधनुष के 4 चार चरण अप्रैल 2015 से जुलाई 2017 के बीच आयोजित किए जा चुके हैं। इस दौरान टीका लेने से वंचित रह गए बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण कराना था। सभी बच्चों तक इसे पहुंचाने के लिए इस अभियान के तहत शहरी बस्तियों, खानाबदोश आबादियों, ईंट भट्ठों, निर्माण स्थलों और दूसरे प्रवासी बस्तियों (मछुआरों की बस्ती, नदी किनारे रहने वाली प्रवासी आबादी, आदि ) एवं टीका से वंचित तथा सुदूर आबादी के बीच यह अभियान चलाया गया।

स्वास्थ्य विभाग की नई पहल
टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने नई पहल की है। इसके तहत मिशन इंद्रधनुष राउंड चलायाएगा। इसमें 21 जिलों के 252 गांवों में 100 प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य पाने का लक्ष्य है। यहां टीकाकरण के संकेतक काफी खराब हैं। स्वास्थ्य विभाग जून-जुलाई 2018 में राज्य में मिजेल्स और रूबेला के लिए टीकाकरण की शुरूआत करने जा रहा है। चार सप्ताह के इस अभियान में राज्य के 1.3 करोड़ बच्चों (9 महीने - 15 वर्ष) को एमआर टीका लगाया जाएगा। ये बच्चे स्कूल में हों या स्कूल से बाहर हों, सभी को इसे लगाना है।

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