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शिक्षक-वैज्ञानिकों की कमी से वेटनरी कॉलेज की गरिमा प्रभावित

  • विश्व वेटनरी डे पर बोले बीएयू कुलपति डॉ कौशल
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविन्दर कौशल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यस्था को मजबूती देने में कृषि के साथ पशुपालन का भी बहुत बडा योगदान है। स्थापना के समय से रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय देश में प्रसिद्ध रहा है। कालांतर में शिक्षकों और वैज्ञानिकों के सेवानिवृत होने से मानव संसाधन की कमी एवं संसाधनों के अभाव के कारण महाविद्यालय की गरिमा पर प्रतिकूल प्रभाव पडा है। इसके कारण क्वालिटी एजुकेशन का स्तर बनाये रखने में मुश्किलों का सामना करना पड रहा है। वे पशु चिकित्सा एवं पशुपालन संकाय में 28 अप्रैल को आयोजित विश्व वेटनरी डे कार्यक्रम में बोल रहे थे। पशु चिकित्सा एवं पशुपालन संकाय, इंडियन वेटनरी एसोशियसन और झारखंड वेटनरी सर्विस एसोशियसन के संयुक्त तत्वावधान में यह हुआ।

पशु चिकित्सा शिक्षा की अनदेखी
डॉ कौशल ने कहा कि राज्य में पशु पालन और पशु चिकित्सा शिक्षा की अनदेखी के कारण राज्य को कृषि विकास का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए पशु चिकित्सा से जुडे सभी शिक्षक, वैज्ञानिक, तकनीकी कर्मी और कर्मचारियों को अगले एक वर्ष के लिए इस क्षेत्र में अपने कार्य के अनूरूप विशेष योगदान देने का आज संकल्प लेना चाहिए। डॉ कौशल ने कहा कि समाज में बढते कुपोषण को दूर करने में पशु पालन क्षेत्र के गाय पालन, कुक्कुट पालन, सूकर पालन, बकरी पालन, बत्तक पालन, मछलीपालन तथा अंडे उत्पादन का विशेष महत्व है। इन अवयवों का उत्पादन बढाकर समाज में कुपोषण में कमी तथा आर्थिक स्थिति में सुधार संभव है। इसके लिए पशु चिकित्सा क्षेत्र को सशक्त किये जाने की जरूरत है। इस क्षेत्र में तकनीशियन एवं पारावेट की अहमियत और उपलब्धता में कमी को देखते हुए डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षित करते हुए ग्रासरूट स्तर तक इस क्षेत्र सशक्त करने तथा नेटवर्क स्थापित करते हुए ग्रामीण युवक-युवतियों को जागरूक करने पर बल दिया।
पशुपालन से नक्सलवाद रोकने में मदद 
प्रसिद्ध पशु चिकित्सक डॉ अनिरूद्ध प्रसाद ने कहा कि हजारों वर्षों से भारतीय अर्थ व्यवस्था में कृषि के साथ पशुपालन का विशेष योगदान रहा है। आज पशु पालन क्षेत्र की अनदेखी से भूमि की उर्वरता कम होती जा रही है। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में कमी आई है। कुपोषण का स्तर बढता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पशुपालन को व्यवसायिक स्वरूप देने से राज्य से लोगों का पलायन और नक्सलवाद रोकने में मदद मिलेगी।
इंडियन वेटनरी एशोसियसन के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि विकास की आंधी में पशु चिकित्सा का क्षेत्र खो गया है। पशु चिकित्सा की शिक्षा में काफी कम ध्यान दिया जा रहा है। पशु पालन क्षेत्र को सशक्त करने के लिए पशु चिकित्सा शिक्षा को प्राथमिकता देने जरूरत है।

तकनीकी संगोष्ठी का आयोजन
आजीविका और खाद्य सुरक्षा में सुधार हेतु टिकाऊ विकास में पशु चिकित्सा पेशा की भूमिका विषय पर आयोजित तकनीकी संगोष्ठी में डॉ संतोष कुमार सिन्हा, डॉ अशोक कुमार सिन्हा, डॉ दयानंद प्रसाद, डॉ विवेक कुमार सिन्हा, डॉ रजनी पुष्पा सिंकु, डॉ आलोक कुमार पांडेय और डॉ सुशील प्रसाद ने अपने विचार रखें। एशोसियसन के महासचिव डॉ एसके  सिन्हा ने स्वागत और डॉ सुशील प्रसाद ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर डॉ अरूण प्रसाद, डॉ राघव ठाकुर, डॉ महादेव महतो के अलावा महाविद्यालय के शिक्षक एवं वैज्ञानिक, पशुपालन एवं सबन्धित विभाग के पदाधिकारी एवं पशुचिकित्सक आदि भी मौजूद थे।

प्रतियोगिता के विजेता सम्मानित
विश्व वेटनरी डे के अवसर पर रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए निबंध, क्विज और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कुलपति ने निबंध प्रतियोगिता में पल्लवी घोष को प्रथम, दिव्यम धैर्य को द्वितीय तथा अनल बोस को तृतीय। क्विज प्रतियोगिता में मनमोहन कुमार और विष्णु कुमार को संयुक्त रूप से प्रथम, रेहान रजा एवं शुभम कुमार को संयुक्त रूप से द्वितीय तथा प्रकाश कुमार एवं अलन बोस को संयुक्त रूप से तृतीय। पोस्टर प्रतियोगिता में पल्लवी घोष को प्रथम तथा सुरभि कुमारी को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया। 

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