मुखबिर योजना से इस कुप्रथा को खत्म करेगा स्वास्थ्य विभाग
रांची। स्वास्थ्य विभाग बाल विवाह रोकने के लिए प्रयास कर रहा है। बाल विवाह होने के पूर्व सूचना को विभाग 104 हेल्पलाईन से जोड़ रहा है। भविष्य में इसे ‘मुखबिर योजना’ के रूप में लाया जाएगा। झारखंड में सबसे अधिक बाल विवाह गोड्डा जिले में होता है।
विभाग के मुताबिक बाल विवाह कुप्रथा है। इसकी रोकथाम अत्यावश्यक है। इसके अनेकों दुष्परिणाम होते हैं। बाल विवाह के कारण कम उम्र में मां बन जाने के कारण मातृ मृत्यु दर में वृद्वि होती है। शिशु मृत्यु दर मेें वृद्वि होती है। किशोरी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। उसे खून की कमी हो जाती कुपोषण की शिकार हो जाती है। यह एक दुखद स्थिति हैं, जबकि कानूनन बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है।
बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी जिले के उपायुक्त को निदेश दिया गया है कि वे अपने जिले के ग्राम पंचायत की प्रत्येक माह की बैठक में कम उम्र में होने वाले विवाह की रोकथाम का अनुमंंडल/अंचल स्तर पर अनुश्रवण करेंगे। इस संबंध में तीन जिलों यथा-रांची, पलामू और पूर्वी सिंहभूम से सूचना मिली है। विभाग इन्हे गंभीरता से ले रहा है। जहां बाल विवाह होने की सूचना मिली है, उस जिले के सिविल सर्जन को निदेश दिया गया है कि वे परामर्शी से उक्त जोड़ी को परिवार नियोजन संबंधी सलाह दिलवाना सुनिश्चित करें। ताकि किशोरी 20 वर्ष की आयु से पूर्व मां न बन पाए। उसका स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।
झारखंड में बाल विवाह की दर 38 प्रतिशत है। यह भयावह है। यह पूरे भारत के 26.8 प्रतिशत से काफी अधिक है। जिलावार बाल विवाह का आंकड़ा ये हैः-
विभाग के मुताबिक बाल विवाह कुप्रथा है। इसकी रोकथाम अत्यावश्यक है। इसके अनेकों दुष्परिणाम होते हैं। बाल विवाह के कारण कम उम्र में मां बन जाने के कारण मातृ मृत्यु दर में वृद्वि होती है। शिशु मृत्यु दर मेें वृद्वि होती है। किशोरी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। उसे खून की कमी हो जाती कुपोषण की शिकार हो जाती है। यह एक दुखद स्थिति हैं, जबकि कानूनन बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है।
बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी जिले के उपायुक्त को निदेश दिया गया है कि वे अपने जिले के ग्राम पंचायत की प्रत्येक माह की बैठक में कम उम्र में होने वाले विवाह की रोकथाम का अनुमंंडल/अंचल स्तर पर अनुश्रवण करेंगे। इस संबंध में तीन जिलों यथा-रांची, पलामू और पूर्वी सिंहभूम से सूचना मिली है। विभाग इन्हे गंभीरता से ले रहा है। जहां बाल विवाह होने की सूचना मिली है, उस जिले के सिविल सर्जन को निदेश दिया गया है कि वे परामर्शी से उक्त जोड़ी को परिवार नियोजन संबंधी सलाह दिलवाना सुनिश्चित करें। ताकि किशोरी 20 वर्ष की आयु से पूर्व मां न बन पाए। उसका स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।
झारखंड में बाल विवाह की दर 38 प्रतिशत है। यह भयावह है। यह पूरे भारत के 26.8 प्रतिशत से काफी अधिक है। जिलावार बाल विवाह का आंकड़ा ये हैः-
1
|
Godda
|
63.5
|
13
|
Latehar
|
37.1
|
2
|
Garhwa
|
58.8
|
14
|
Bokaro
|
36.6
|
3
|
Deoghar
|
52.7
|
15
|
Saraikela
|
33.2
|
4
|
Giridih
|
52.6
|
16
|
Dhanbad
|
29.9
|
5
|
Koderma
|
50.8
|
17
|
Lohardaga
|
28.5
|
6
|
Chatra
|
49
|
18
|
Ranchi
|
28.1
|
7
|
Dumka
|
47.4
|
19
|
Khunti
|
27.8
|
8
|
Jamtara
|
44.7
|
20
|
Ramgarh
|
27.7
|
9
|
Pakur
|
41.1
|
21
|
E. Singhbhum
|
26.1
|
10
|
Hazaribagh
|
40.8
|
22
|
Gumla
|
24
|
11
|
Palamu
|
40.5
|
23
|
W. Singhbhum
|
21.3
|
12
|
Sahebganj
|
38.4
|
24
|
Simdega
|
14.7
|
Jharkhand
|
38
|
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