तो ये नहीं है फाईव स्टार होटल या रिसोर्ट
- शिकागो से मंजुला सिंह
भारत से बाहर रह रहे भारतीय अपने लोगों के बीच
ही जीवन की सांझ गुजारना चाहते हैं। अपनी भाषा, अपने खान-पान और अपनी संस्कृति के बीच। ये चाहते हुए भी
अपने देश नहीं लौट पाते, क्योंकि उनके बच्चे, पोते-पोतियां यहां बसे होते हैं। ऐसे में वे
बच्चों से दूर नहीं जाना चाहते। एनआरआई बुजुर्ग की जिंदगी
नितांत अलग-थलग होती है। इस एकांकीपन को दूर करने के लिए फ्लोरिडा में शांति
निकेतन नाम से एनआरआई वृद्धों के लिए अपार्टमेंट कांपलेक्स बनाए गए हैं। इसमें
करीब 175 अपार्टमेंट हैं।
फ्लोरिडा
में पिछले 30 सालों से रह रहे जेरी उर्फ जयराम 85 साल के हैं। उनकी दिनचर्या किसी
30 से 35 साल के युवा से कम नहीं। उनकी सुबह हर रोज हमउग्र लोगों के साथ चाय-नाश्ते
के साथ ठहाकों से शुरू होती है। कुछ लोग योग और ध्यान से दिन की शुरुआत कर रहे
होते हैं। शांति निकेतन मिनी इंडिया से कम नहीं है।
न्यू
जर्सी में भी इसी तर्ज पर भारतीय वृद्धों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस
अपार्टमेंट कांपलेक्स बनाए गए हैं। यहां भारतीय डॉक्टर और नर्सों को भी रखा गया
है, ताकि इलाज के दौरान भाषा की दिक्कत बाधा नहीं बने। यहां रह
रहे लोग भजन-कीर्तन करते हुए भी मिलेंगे। बॉलीवुड डांस करते हुए भी।
क्वींस में
इंडिया होम के नाम से बुजुर्गों के लिए स्पेशल डे केयर सेंटर खोले गए हैं। जहां
कामकाजी लोग अपने माता-पिता को दिन भर के लिए छोड़ सकते हैं।
अलग-अलग समुदाय के लिए खास ओल्ड एज होम की तादात और बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही, बढ़ेगी इन्हें बेहतर करने की होड़। जाहिर है कि जिनके पास ज्यादा पैसे
होंगे वे ज्यादा अच्छे ओल्ड एज होम्स में रहने का लुत्फ उठाएंगे।
मंजुला सिंह |
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