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आयोग के निर्णय के खिलाफ कोर्ट जाएगा शिक्षक संघ


रांची। राज्‍य गठन के बाद पहली बार झारखंड लोक सेवा आयोग ने वित्त सेवा के तहत सभी सरकारी सेवकों से 2010 में आवेदन मांगे थे। उस वक्‍त स्नातक और तीन वर्ष पूरा कर चुके सरकारी सेवा की योग्यता थी। अब आयोग पांच वर्ष की सेवा संपुष्टि जरूरी बता रहा है। हालांकि विज्ञापन में इसका उल्‍लेख नहीं था। जानकारी हो कि डिप्टी कलेक्टर और वित्त सेवा में नियुक्ति के लिए सीमित परीक्षा 2010 के लिए आवेदन वर्ष 2010 में मांगा गया था। वर्ष 2013 में ही 50 पदों पर डिप्टी कलेक्टर की बहाली हुई, इसमें 38 शिक्षकों ने सफलता हासिल की। किन्ही कारणवश सीमित वित्त सेवा परीक्षा नही हो पाई। अब आयोग ने 20 मई को सीमित प्रतियोगिता परीक्षा आयोजन की तिथि तय की है। शिक्षकों को इस परीक्षा में विभिन्‍न कारणों से रिजेक्ट कर दिया गया है। 

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बृजेन्द्र चौबे, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद और प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी अजय ज्ञानी ने आयोग द्वारा शिक्षकों को मौका नहीं देने का विरोध किया है। कोर्ट जाने का निर्णय लिया। संघ का कहना है कि पिछली सीमित डिप्टी कलेक्टर नियुक्ति में शिक्षकों का दबदबा रहा। यही कारण है कि आवेदन स्वीकृत करने के आठ वर्ष बाद अब परीक्षा के एक माह पूर्व सभी शिक्षकों का फॉर्म रिजेक्ट किया गया। संघ को आशंका है कि वर्ष 2006 में रद्द कर दी गई प्रथम डिप्टी कलेक्टर सीमित परीक्षा के फिर से होने पर भी शिक्षकों के आवेदन को निरस्त किया जा सकता है।

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