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RIMS: डिलीवरी मरीज और बच्चे की मौत का मामला, बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान, व्यवहार सुधारने की चेतावनी दी

रांची। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल यानी रिम्स में लिफ्ट में डिलीवरी मरीज को नहीं ले जाने के कारण सोमवार को हुई काठीटांड की सुनीता देवी की मौत मामले में झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की जानकारी लेने के लिए आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने रिम्स के डायरेक्टर आरके श्रीवास्तव से मुलाकात की। मामले की जानकारी ली। आरती कुजूर ने रिम्स में कार्यरत लोगों द्वारा आम लोगों के साथ किये जाने वाले बुरे व्यवहार को सुधारने की भी चेतावनी दी।  

लिफ्ट के इंतजार में गई जान
सोमवार को एक लिफ्ट मैन की लापरवाही से काठीटांड़, रातू से आई सुनीता देवी (30 वर्ष) प्रसव पीड़ा से कराहती रहीं। अंतत: ट्रॉली में ही उसकी जान चली गई थी। सुनीता के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई थी। सुनीता को रातू पीएचसी से इलाज के लिए रिम्स रेफर किया गया था। इमरजेंसी से सीधे उसे लेबर रूम पहुंचाना था। ट्रॉली मैन उसे सीओटी के सामने लगे लिफ्ट में ले गया। लेकिन वहां मरीजों का खाना बांटने वाली ट्रॉली ले जाई जा रही थी। एक नहीं बल्कि कई ट्रॉलियों को ले जाया जा रहा था। इस दौरान सुनीता दर्द से कराहती रही। परिजनों और ट्रॉली मैन ने भी कई बार आग्रह किया कि मरीज को लेबर रूम ले जाने दो, लेकिन इसका कोई असर लिफ्ट मैन पर नहीं पड़ा। करीब 25 मिनट तक वह ट्रॉली पर ही कराहती रही। जब 25 मिनट बाद लिफ्ट खाली होने के बाद उसे लेबर रूम ले गए तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

24 घंटे में जांच रिपोर्ट देने की बात कही
बाल संरक्षण आयोग की टीम ने दोषी स्टाफ के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी रिम्स डायरेक्टर से मांगी। इस पर रिम्स डायरेक्टर ने कहा कि 24 घंटे में जांच कमेटी से रिपोर्ट लेने के बाद आयोग को कॉपी उपलब्ध करा दी जाएगी। साथ ही जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को भेज दी जाएगी। आयोग ने रिम्स में लगातार हो रही अमानवीय घटनाओं पर चिंता जाहिर किया है।

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