अब इनका पैसा भी जाएगा बैंक में
रांची। मध्याह्न भोजन योजना के तहत रसोईया सह सहायिकाओं मानदेय अब सीधे बैंक अकाउंट में जाएगा। इस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। झारखंड राज्य मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक डॉ शैलेश कुमार चौरसिया ने इस योजना को साकार करने के लिए विहित प्रपत्र में संबंधित जानकारी मांगी है।
इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधीक्षक कोो पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है की सभी तरह की जानकारी अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में देना है। बैंक का पूरा नाम लिखना है। रसोईया सह सहायिकाओं का एकाउंट नंबर, आधार नंबर, पिन नंबर भी देना है।
सभी जानकारी एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। जानकारी हो विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति सहित सभी तरह की राशि उनके एकाउंट में सीधी भेजी जा रही है। सरकार भी डिजिटल को बढ़ावा दे रही है। इसी क्रम में यह कदम उठाया जा रहा है। इसके मद्देनजर मानदेय डीबीटी के माध्यम से भेजने की योजना है।
इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधीक्षक कोो पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है की सभी तरह की जानकारी अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में देना है। बैंक का पूरा नाम लिखना है। रसोईया सह सहायिकाओं का एकाउंट नंबर, आधार नंबर, पिन नंबर भी देना है।
सभी जानकारी एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। जानकारी हो विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति सहित सभी तरह की राशि उनके एकाउंट में सीधी भेजी जा रही है। सरकार भी डिजिटल को बढ़ावा दे रही है। इसी क्रम में यह कदम उठाया जा रहा है। इसके मद्देनजर मानदेय डीबीटी के माध्यम से भेजने की योजना है।

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ReplyDeleteरसोइयाओं को DBT से भुगतान करने का निर्णय गलत है। DBT के माध्यम से विभिन्न योजनाओं की राशि लाभुक को दी जाती है। जबकि रसोइयाओं को उनकी मेहनत/मजदूरी की राशि दी जानी है। यूं तो सरकार इन्हें साल भर काम करा के मात्र 15000 सालाना भुगतान कर रही है जो कि न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है। और अब उसी राशि को DBT के माध्यम से दे कर सरकार क्या बताना चाहती है कि ये राशि उन्हें मुफ्त में दे रही है ? रसोइयाओं को किया जाने वाला भुगतान DBT के माध्यम से करना उपयुक्त नहीं। मालूम हो कि छात्रवृत्ति, गैस की सब्सिडी, बृद्धा पेंशन या और किसी भी प्रकार की राशि जिसे DBT से ट्रांसफर किया जाता है उसके विरुद्ध उनसे कोई कार्य नहीं लिया जाता। जबकि रसोइयाओं को उनके द्वारा किये गए काम के विरूद्ध उनकी मजदूरी है। जिसे मानदेय कह कर संबोधित किया जाता है फिर उसे DBT करने की बात की जा रही है। यदि ऐसा ही है तो सभी सरकारी एवं अनुबंध कर्मियों को भी DBT के माध्यम से ही वेतन/मानदेय भुगतान की दिशा में सरकार कदम क्यों नहीं उठा रही है? यह एक गम्भीर प्रश्न है। दैनिक झारखंड से अनुरोध है कि मेरे कमेन्ट पर गम्भीरता से विचार करे हो सके तो मेरी बातों को खबर के रूप में प्रकाशित भी करे। आवश्यकता पड़ने पर pank1622@hotmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद
पंकज कुमार