आदिवासी विरोधी विधायकों का पुतला दहन
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| फाइल फोटो |
अनुमंङल अध्यक्ष मंजीत कोड़ा ने संबोधित करते हुए कहा कि जिन विधायक व सांसद ने समर्थन में हस्ताक्षर किया है , वे खुद स्वेच्छा से कुड़मी व तेली बन जाना चाहिए । उन्हे आरक्षित सीट से सांसद व विधायक बनने का अधिकार नहीं है । कहा कि आदिवासियों का इतिहास रहा है लड़ाई लड़ने का, अगर रघुवर दास की भाजपा सरकार कुड़मी व तेली या अन्य जाति को जबर्दस्ती आदिवासी बनाती है तो समूचे झारखंङ में आग लग जाएगी। जनता ने विकास करने के लिए पहली बार बहुमत की सरकार चुनी है। सता का घमंङ न दिखाये। केंद्रीय उपाध्यक्ष भूषण लागुरी ने कहा झारखंङ अलग राज्य बनने का कोई मतलब नहीं रहा गया है। बाहरियों को नौकरी, सता, जमीन इत्यादि पर कब्जा जमाने के लिए भोजपुरी, मगही जैसी भाषा को दितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा रहा है, जो झारखंङ वासियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है । इस अन्याय को कभी बर्दशत नहीं किया जाएगा। इस मौके पर अनुमंङल संगठन सचिव बिरेंद्र बालमुचू, शंकर चातोम्बा, बहासिंह लागुरी , कामेश्वर मुंदुईया आदि युवा महासभा कार्यकर्ता मौजूद थे ।

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