Video Of Day

Latest Post

गर्व है कि हम गौतम बुद्ध की धरती पर जन्म लिये है: बाउरी

रांची। सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की कहानी झारखंड के  इटखोरी  में ही हुई थी। गौतम बुद्ध से जुडी कई ऐसे तथ्य शोधकर्ताओं को यहां मिले हैं। हमें गर्व है कि हम गौतम बुद्ध की धरती पर जन्म लिये है। आज विश्व कितनी भी तरक्की कर ले, लेकिन शांति की खोज में उसे बुद्ध की शरण में ही आना होगा। उपरोक्त बातें राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री अमर कुमार बाउरी ने राजधानी रांची के ऑड्रे हाउस में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम ऑन रेवाईविंग बुद्धिज़्म इन इटखोरी कार्यक्रम में कहीं।

मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा कि भारत के कई हिस्से में बुद्ध के जीवन से जुड़ी बातें हमेशा से सामने आती रही है। पूर्व में गौतम बुद्ध से जुड़ी और उनके जीवन से जुड़ी चीजें लुंबनी, कपिलवस्तु बोधगया और सारनाथ तक ही सीमित था लेकिन यह भी सत्य है कि ज्ञान प्राप्ति से पहले गौतम बुद्ध का अंतिम पड़ाव इटखोरी में हुआ था। यहीं पर सिद्धार्थ खोया और गौतम बुद्ध का जन्म हुआ। इस कारण यहां का नाम इटखोरी पड़ा है।

उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में जो भी बातें सामने आएगी वह विश्व पटल पर इटखोरी को स्थापित करेगी। दो दिवसीय इस कार्यक्रम के बाद पूरा विश्व इटखोरी के बारे में चर्चाएं करेगा। सरकार इटखोरी को विकसित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है। साथ ही कई योजनाओं को भी इटखोरी में शुरू किया जा रहा है। इटखोरी को विश्व पटल पर लाने के लिए विभाग और सरकार मिलकर काम कर रही है।

अमर कुमार बाउरी ने कहा कि भविष्य में इटखोरी में भी इस तरह के का अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जाएगा। यह बड़े दुख की बात है कि जिस देश में गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, उस देश में उनके फॉलोवर्स  कम है लेकिन विदेशों में उनके फॉलोवर्स और उनको मानने वाले की संख्या अधिक है। उन्होंने गौतम बुद्ध और सनातन धर्म से जुड़ी कई तथ्यों को भी अपने संबोधन में कहीं।

मंत्री ने कहा कि गौतम बुद्ध के नाम से ही मानव के अंदर चेतना जागने लगती है। वे हर व्यक्ति के अंदर है। बस उन्हें समझने और जानने की जरूरत है। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज संकल्प लेने का दिन है कि हम बुद्ध के बताए मार्ग पर चलें और इटखोरी को विकसित करने में हर संभव प्रयास मिल कर करें। उन्होंने कहा कि इटखोरी छात्रों, शोधकर्ताओं, पर्यटको एवं आम लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थल है। जहां जाकर वे अपने सनातन धर्म और बुद्ध से जुड़ी कई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए अमर कुमार बाउरी ने आयोजनकर्ताओं को धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सचिव मनीष रंजन ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम ऐतिहासिक है। अंतरराष्ट्रीय सिम्पोजियम के आयोजित होने से हमारे राज्य के पर्यटन स्थल को देश दुनिया के पटल पर लाया जा सकता है। झारखंड की कला संस्कृति, spritual टूरिज्म देश को ही नहीं दुनिया को भी भारत से जोड़ती है। गौतम बुद्ध ने अपने अंदर के ताकत को जानने का ज्ञान दिया है। आज हम खुद के साथ जदोजहद कर रहे है, ऐसे में गौतम बुद्ध के सन्देश कारगर साबित हो रहे है। इस कार्यक्रम से  छात्रों, शोधकर्ताओं और पर्यटको के साथ आम लोगों को भी जानकारी मिलेगी।

मनीष रंजन ने बताया कि सरकार और विभाग इटखोरी के नदी के सौंदर्यीकरण के साथ विश्व का सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप और प्रेयर व्हील इटखोरी में बनाने की योजना तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि विभाग के तरफ से इस सेमिनार में आये अतिथियों को बुधवार को इटखोरी के भ्रमण पर ले जाया जायेगा। उन्होंने बताया कि गौतम बुद्ध ज्ञान की खोज में जब बोध गया जा रहे थे तो उससे पहले उनका अंतिम पड़ाव इटखोरी था। इटखोरी अपने आप में जागृत क्षेत्र है। यह पहला अन्तरराष्ट्रीय सेमीनार है। आगे भी ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे, ताकि झारखण्ड को पर्यटन के क्षेत्र में ऊँचे स्तर तक पहुँचाया जा सके।

कार्यक्रम में वियतनाम से आये विशेषज्ञ PHAN ANH DUOC, MS. TRAN THI YAN VAN, सी यु जे के प्रोफ़ेसर KALSANG WANGMO, प्रोफ़ेसर सीमा ममता मिंज, पटना म्यूजियम के निदेशक यु सी त्रिवेदी, कला संस्कृति विभाग, झारखण्ड के निदेशक अशोक सिंह सहित बड़ी संख्या में देश भर से आये शोधकर्ता और छात्र, छात्राएं मौजूद थे।

No comments