बीएयू में बताई गई हरा चारा उत्पादन की तकनीक
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में हरा चारा उत्पादन और पशु प्रबंधन
तकनीक पर एक दिन का प्रशिक्षण सह प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन रांची पशु चिकित्सा
महाविद्यालय स्थित चारा अनुसंधान प्रक्षेत्र में सोमवार को हुआ। निदेशक अनुसंधान डॉ
डीएन सिंह ने हरा चारा का उत्पादन सालों भर किये जाने की जानकारी दी। हरे चारे का
उपयोग पशुप्रबंधन में कर अधिक से अधिक गुणवत्तायुक्त दूध का उत्पादन करने के बारे में
बताया। अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ जेडए हैदर ने हरे चारे का
उपयोग दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में करने के साथ-साथ गोबर का उपयोग खेत की उर्वराशक्ति
बढ़ाने के लिए करने पर बल दिया।
डॉ रविन्द्र कुमार ने कहा की गाय और बकरी के लिए हरा चारा बहुत जरुरी
है। इसके नहीं मिलने से उनका दूध उत्पादन कम होगा। शारीरिक वृद्धि धीमी होगी। प्रजनन
क्षमता प्रभावित होगी। आठ-दस किलो दूध देनेवाली गाय को केवल हरा चारा पर पाला जा
सकता है।
परियोजना प्रभारी डॉ योगेन्द्र प्रसाद ने कहा की नेपियर घास लगाकर 5-6
वर्षों तक उत्पादन लिया जा सकता है। पहली बार 70-80 दिनों पर और उसके बाद 50-60 दिनों पर कटाई करते हैं। खरीफ मौसम में ज्वार, बाजरा, मक्का, बोदी,
दीनानाथ घास और गिन्नी घास एवं रबी मौसम में जई और बरसीम लगा सकते हैं। डॉ
बिरेन्द्र कुमार ने विभिन्न हरा चारा से मिलने वाले पोषक तत्वों के बारे में
जानकारी दी। प्रशिक्षण में कांके, अरसंडे, बोड़ेया, होचर, हुसीर, नगड़ी आदि गावों के
लगभग 50 किसानों ने भाग लिया। उन्हें प्रक्षेत्र भ्रमण भी कराया गया।
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