राज्य के 221 कैदियों की होगी रिहाई
- मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक में फैसला
रांची। राज्य के जेलों से 221 कैदियों को रिहा किया
जाएगा। यह निर्णय नौ अप्रैल को राज्य सजा पुनरीक्षण
पर्षद की बैठक में हुआ। बैठक में 233 आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदियों की मुक्ति के प्रस्ताव पर पर्षद
द्वारा विचार किया गया। इनमें से 221 को मुक्त
करने का निर्णय लिया गया। कैदियों ने औसतन 23 वर्ष
की सजा पूरी कर ली है। शेष 12 मामलों को लंबित
रखते हुए अगली बैठक में विस्तृत प्रतिवेदन के साथ फिर से लाने का निर्णय लिया गया।
रिहा होने वाले 221 में 104 कैदी अनुसूचित जनजाति के और तीन महिलाएं शामिल हैं। कैदियों में बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा, रांची
से 100, केन्द्रीय कारा, हजारीबाग से 54, केन्द्रीय कारा, दुमका से 40, केन्द्रीय कारा, घाघीडीह, जमशेदपुर से 23, केन्द्रीयकारा, मेदिनीनगर, पलामू से 02, मंडल कारा, चास, बोकारो से 01 एवं खुला जेल-सह-पुनर्वास कैंप, हजारीबाग से 01 हैं।
मौके पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि किसी के साथ अन्याय नहीं
होना चाहिए। राज्य के आदिवासी सीधे सरल होते हैं। कई बार भावनाओं में आकर किये गए
उनके अपराध के बाद खुद ही सरेंडर करने और बेहतरीन आचरण वाले मामलों में 20 साल की सजा काट चुके लोगों की रिहाई की
जानी चाहिए। इन लोगों को फिर से नया जीवन शुरू करने का मौका मिलना चाहिए। इससे जेल
में अच्छा व्यवहार कर रह कैदियों को अच्छे आचरण का प्रोत्साहन मिलेगा। मुख्यमंत्री
ने कहा कि सजा पूरी कर या जमानत पर रिहा हो वैसे बंदियों, आरोपियों जिन पर अपराधी गतिविधियों में सक्रिय रहने के आरोप हैं उनके आचरण
पर प्रशासन अपनी नजर अवश्य रखे। बैठक में प्रधान गृह
सचिव एसकेजी रहाटे, आरक्षी
महानिदेशक डीके पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील
बर्णवाल, एडीजी अनुराग गुप्ता, कारा
महानिरीक्षक हर्ष मंगला, विधि सचिव अन्य पदाधिकारी उपस्थित
थे।
No comments