पशुपालकों को उद्यमी बनाने से आय होगी दोगुनी : कुलपति
रांची। राज्य स्थापना के समय राज्य की दूध उत्पादन क्षमता करीब 8.5 लाख मि टन लीटर प्रतिवर्ष थी। 17 वर्षों में यह बढ़कर करीब 18.0 लाख मि टन लीटर तक पहुंचा है। एक आकलन के अनुसार राज्य को करीब 36.0 लाख मि टन लीटर प्रतिवर्ष घरेलु दूध की आवश्यकता है। इस 50 प्रतिशत कमी को पूरा करने के लिए दूध उत्पादन आंदोलन चलाने की जरूरत है। इसमें दूध व्यवसाय से जुड़े सभी पशुपालकों, सरकार-निजी संस्था, शोध संस्थान और वित्तीय संस्थानों के साथ बेहतर समन्वय और तालमेल का प्रयास होना चाहिए। राज्य के लिए समयबद्ध दूध उत्पादन रोड मैप बनाकर ये प्रयास करने होगें। ये विचार बीएयू के कुलपति डॉ परविन्दर कौशल ने कही। वह बुधवार को झारखंड प्रोग्रेसिव डेयरी फारमर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने झारखंड प्रोग्रेसिव डेयरी फारमर्स एसोसिएशन की नियमावली पुस्तिका का लोकार्पण भी किया। कुलपति ने कहा कि पशुपालकों को उद्यमी बनाने से आय दोगुनी होगी।
गव्य निदेशक डॉ केके मुरारी ने सक्रिय पशुपालकों की भागीदारी से दूध व्यवसाय को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। पूर्व गव्य निदेशक और बीएयू के मुख्य वैज्ञानिक प्रसार डॉ आलोक कुमार पांडेय ने दूध उत्पादन में हरा चारा उत्पादन को प्राथमिकता देने, छोटे पशुपालकों को सक्रिय और प्रेरित करने, किसान केन्द्र में प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना तथा बायफ एवं जेके ट्रस्ट के प्रजनक नीति की अच्छी गतिविधियों को आगे बढ़ाने पर बल दिया।
एसोसिएशन के सचिव राजेन्द्र यादव ने बताया कि राज्य में उपलब्ध करीब 7 लाख बछिया को गाय में परिवर्तित नहीं कर पाने के कारण राज्य दूध उत्पादन में पिछड़ा है। राज्य में दूध उत्पादन व्यवसाय को किसानों से जोड़कर पशुपालकों की आय को बढ़ाने और राज्य को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना ही एसोसिएशन का उद्देश्य है। कार्यक्रम में अयूरवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मोहन सक्सेना ने भी अपने विचार रखें। संचालन राजश्री और धन्यवाद अभिनव किशोर ने किया।
गव्य निदेशक डॉ केके मुरारी ने सक्रिय पशुपालकों की भागीदारी से दूध व्यवसाय को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। पूर्व गव्य निदेशक और बीएयू के मुख्य वैज्ञानिक प्रसार डॉ आलोक कुमार पांडेय ने दूध उत्पादन में हरा चारा उत्पादन को प्राथमिकता देने, छोटे पशुपालकों को सक्रिय और प्रेरित करने, किसान केन्द्र में प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना तथा बायफ एवं जेके ट्रस्ट के प्रजनक नीति की अच्छी गतिविधियों को आगे बढ़ाने पर बल दिया।
एसोसिएशन के सचिव राजेन्द्र यादव ने बताया कि राज्य में उपलब्ध करीब 7 लाख बछिया को गाय में परिवर्तित नहीं कर पाने के कारण राज्य दूध उत्पादन में पिछड़ा है। राज्य में दूध उत्पादन व्यवसाय को किसानों से जोड़कर पशुपालकों की आय को बढ़ाने और राज्य को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना ही एसोसिएशन का उद्देश्य है। कार्यक्रम में अयूरवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मोहन सक्सेना ने भी अपने विचार रखें। संचालन राजश्री और धन्यवाद अभिनव किशोर ने किया।
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