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अब अवैध खनन का पता लगाना होगा आसान


  • एक-डेढ़ महीने में कोयला मंत्रालय लांच करेगा एप
  • सीएमपीडीआई ने पहली बार दिया लाभांश और बोनस शेयर
  • कई काम के लिए कंपनी कर रही ड्रोन का उपयोग
  • ड्रिलिंग में पिछले साल से 21 प्रतिशत की हुई है वृद्धि
रांची। कोयल की अवैध खनन का पता लगाना अब आसान होगा। एक से डेढ़ महीने में कोयला मंत्रालय एप लांच करेगा। सीएमपीडीआई ने गांधीनगर स्थित भास्‍कराचार्य इंस्‍टीट्यूट ऑफ स्‍पेश एप्‍लीकेशन एंड जियो इंफॉमेटिक्‍स के सहयोग से जीआईएस आधारित कोयला खान प्रबंधन एवं निगरानी प्रणाली विकसित किया है। यह प्रणाली अवैध खनन की निगरानी और इस तरह के कार्यों को रोकने संबंधी उपयुक्‍त कार्रवाई करने के लिए विकसित की गई है। यह प्रणाली अवैध खनन की जगह के बारे में सूचना तैयार करने के लिए उपग्रह आकड़ा और मोबाईल एप का उपयोग करेगा। कोई भी व्‍यक्ति अवैध खनन संबंधी फोटो लेकर इसपर अपलोड कर सकता है। इसके अपलोड होते ही सूचना संबंधी सहायक कंपनी और जिला प्रशासन को मिल जाएगी। उक्‍त जानकारी सात अप्रैल को सीएमपीडीआई के सीएमडी एस सरन ने रांची में प्रेस को दी। इस अवसर पर निदेशक बीएम शुक्‍ला, एके चक्रवर्ती, सीएमडी के टीएस संजय दुबे, राजीव लोचन सहित अन्‍य अफसर मौजूद थे।
कोयला लादने में आएगी तेजी
सीएमडी ने कहा कि रेलवे डीजल इंजन को हटा रहा है। उसकी जगह बिजली इंजन ला रहा है। इस क्रम में वैगन में कोयले की लदाई करने में बिजली तार समस्‍या बन रही थी। कोयले की तेजी से लदाई के लिए साइलो के नीचे कोलेप्‍सेबल ओवरहेड उपकरणों को डिजाईन कर आरडीएसओ, लखनऊ को विचार के लिए भेजा गया था। इसे वहां से मंजूरी मिल गई है। अब कोल इंडिया की विभिन्‍न कंपनियो में तेजी से कोयले की लदाई हो सकेगी।
ड्रिलिंग में 21 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी
सीएमडी ने बताया कि वर्ष 2017-18 में सीएमपीडीआई ने 13.66 लाख मीटर ड्रिलिंग की। यह अब तक का सर्वाधिक है। कंपनी को लक्ष्‍य 12.50 लाख मीटर का दिया गया था। पिछले साल की तुलना में ड्रिलिंग में 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कंपनी तैयार 30 परियोजना रिपोर्ट से 100 मिलियन टन अतिरिक्‍त कोयला उत्‍पादन की संभावना है। इसमें कई झारखंड के भी हैं।
पहली बार लाभांश दिया
श्री सरन ने बताया कि कंपनी ने कोल इंडिया को पहली बार लाभांश दिया है। यह 20 करोड़ रुपये है। इसके अलावा बोनस शेयर जारी किया गया है। 40 करोड़ रुपये की पूंजीगत व्‍यय का लक्ष्‍य प्राप्‍त कर लिया गया है। कंपनी ने बाहर के 27 सस्‍थानों से 66.37 करोड़ रुपये का काम लिया था। सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में व्‍यापक काम हो रहा है। क्षेत्रीय संस्‍थान एक और दो में क्रमश: 80 और 30 किलोवाट क्षमता सोलर संयंत्रों को स्‍थापित किया गया है। तीन अन्‍य क्षेत्रीय संस्‍थानों में इसकी स्‍थापना की जा रही है। कोल बेड मिथेन में भी काम हो रहा है। सीएसआर के तहत कई गतिविधियां संचालित की गई। उत्‍कृष्‍ट एमओयू रेटिंग का पुरस्‍कार मिला।
फाईल फोटो
दैनिक काम में होगा ड्रोन का उपयोग
सीएमडी ने बताया कि कंपनी को विभिन्‍न मंत्रालयों से ड्रोन के उपयोग की मंजूरी मिल गई है। कंटूर और आर्थों फोटो खींचने और स्‍टॉक पाइल वॉल्‍यूम की गणना जैसी कई तकनीकी सेवाओं के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया है। सीसीएल की रजरप्‍पा और तोपा एवं एनसीएल की चार खदानों अमलोहरी, निगाही, जयंत, दुधीचुआ में आउट सोर्सिंग प्रणाली कार्यान्वित की गई। आने वाले दिनों में कोल इंडिया में दैनिक गतिविधियों के संचालन में ड्रोन की तैनाती के लिए सीएमपीडीआई काम कर रही है।

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