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स्वामी मुक्तरथ ने प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को सिखाया हेल्थ मैनेजमेंट

रांची। आज ज्यूडिशियल एकेडमी रांची में प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को हेल्थ मैनेजमेंट का  सिखाया गया। संन्यासी मुक्तरथ जी के साथ अंतरराष्ट्रीय योग प्रशिक्षक प्रिंस कुमार ने मस्क्युलर  स्ट्रेंग्थ, सुंदर शरीर, यौवन एवं मानसिक शक्ति हेतु योगभ्यास कराये। साथ ही श्री मुक्तरथ जी सभी अधिकारियों को स्फूर्ति, एकाग्रता, एवं आध्यात्मिक उत्थान हेतु प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराये। 

प्रिंस कुमार ने बताया कि नसों और मांशपेशियों को इसी उम्र में मजबूत बनाना होगा तभी हम सौ वर्ष की जिंदगी भगवान से ले पाएंगे। शरीर मे खून का संचार अच्छा हो, मांशपेशियां मजबूत हों, तथा हड्डियां लचीली हों वह आदमी जरूर निरोगी रहेगा। इन्होंने कहा वियतनाम, हॉन्गकॉन्ग,चाईना इन सभी जगहों में सारे फिटनेस क्लवो में योग करने वालो की भीड़ लगी रहती है।बहुत कड़ा अनुशासन है,कानून बहुत ही सख्त है,पर भारतीय योग शिक्षकों का बहुत डिमांड है। वहां किसी को बुलाने की जरूरत ही नही है,सभी लोग हेल्थ के प्रति काफी जागरूक हैं। वहाँ बड़ी बड़ी कंपनियां हेल्थ सेंटर,एवं योगा सेंटर खोलने में लगी हुई हैं। वहाँ के खाने में तेल, मसाले का नामोनिशान नही है। वो लोग माँस को सिर्फ बॉईल करके खाते हैं। स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती से बड़ा धन उनके लिए और कुछ भी नही है।

 स्वामी मुक्तरथ जी ने कहा बाहर के देशों में दिन प्रतिदिन भारतीय योग शिक्षकों की माँग बढ़ते जा रही है। आस्ट्रेलिया,यूरोप,एवं अमेरिका में तो भारी डिमांड है। भारत से मेडिटेशन कराने वाले योग गुरुओं की वहाँ काफी माँग है। हमलोगों को योगाभ्यास सिखाने के साथ मेडिटेशन सिखाने की अच्छी कला होनी चाहिए। आज का युग स्वाथ्य से ज्यादा शांति की तलाश में है।अच्छी नींद,सुख और आनंद जहाँ मिलेगा उसी ओर आदमी अभिमुख होगा। वर्तमान समय की परिस्थिति बहुत नाजुक है, तनावपूर्ण है,हर तरफ हिंसा, प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही है। ऐसे समय मे बीसवीं सदी के प्रख्यात और लोकप्रिय योग महर्षि स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के वचनों को याद करना होगा , उन्होंने कहा था -" योग विश्व की संस्कृति होगी और दुनियां की घटाओं को दिशानिर्देश करेगा "
       
मुक्तरथ जी ने कहा कि योग संयम है,अनुशाशन है और आध्यात्मिक ऊर्जा का बहुत बड़ा स्रोत है। जिस व्यक्ति के दिनचर्या में योग रस-बस गया वो महान जरूर होगा। चाहे वह संत हो या चाहे गृहस्थ।  हर व्यक्ति को अपने जीवन के व्यस्तम से व्यस्तम समय मे भी एक घंटा बीस मिनट समय योगभ्यास के लिए निकालना ही होगा।
   ( 1) हल्की दौड़    -  10 मिनट
         (या,तेज भ्रमण)
   (2)योगासन   -        40 मिनट
   (3)प्राणायाम -        20 मिनट
   (4)ध्यान      --        10 मिनट
 इन तरह की दिनचर्या हमारी होनी चाहिए,तभी हम स्वस्थ रहने की कल्पना कर सकते हैं।

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