राज्य में 26 जून से शुरू हो रहा मिजल्स रूबैला वैक्सिनेशन कैंपेन
- प्रचार प्रसार के लिए मोबाइल और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर जोर
निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवायें, डॉ सुमंत मिश्रा ने कहा कि लोगों के बीच संचार के लिए जारी संदेश स्पष्ट और गाइडलाइन के अनुसार होना चाहिए। यूनिसेफ की मधुलिका जोनाथन ने कहा कि कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार के लिए मोबाइल और सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना होगा। चाइल्ड हेल्थ सेल के डॉ अजित प्रसाद ने कहा कि मिजल्स रूबैला वैक्सिनेशन से संबंधित पोस्टर सभी सरकारी भवनों में लगाये जायें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी मिल सके। टीकाकरण अभियान की सूचना लोगों तक पहुंचाने के लिए अलर्ट मैसेज जारी करने की तैयारी की जा रही है। मौके पर डॉ पुष्पा मारिया बेक (बाखला), डॉ वीणा सिन्हा, डॉ प्रदीप बास्की, अकई मिंज, सुचोरिता पांडा, अजय कुमार शर्मा, रणजीत कुमार और सभी कार्यक्रमों के कंसलटेंट उपस्थित थे।
खसरा और रूबैला टीकाकरण अभियान
खसरा और रूबैला टीकाकरण अभियान एक राष्ट्रव्यापी अभियान है। इस अभियान के अंतगर्त नौ महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों का टीकाकरण किया जायेगा। इस अभियान में इस आयु वर्ग के बच्चों को चुना गया है, क्योंकि ऐसा देखा जाता है कि खसरा रूबैला के अधिकतर मामले 15 साल तक के बच्चों में पाये जाते हैं। सभी बच्चों का टीकाकरण प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किया जायेगा। किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सीय टीम उपलब्ध रहेगी।
इसलिए जरूरी है टीकाकरण
खसरा से न्यूमोनिया, दस्त और अन्य बीमारी हो सकती है। यह बच्चों के लिए घातक हो सकती है। खसरा रोग के कारण बच्चों में विकलांगता या उनकी असमय मृत्यु हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान रूबैला संक्रमण के कारण शिशु जन्मजात दोषों के साथ जन्म ले सकता है। उसमें अंधापन, बहरापन, कमजोर दिमाग, जन्म के समय से ही दिल की बीमारी जैसे लक्षण पाये जा सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि टीकाकरण के दौरान कुछ बच्चों में चिंता और घबराहट जैसी समस्या देखी जा सकती है। उन्होंने बताया कि खसरा का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन टीकाकरण द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
टीका कितना सुरक्षित
टीका सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों, और स्कूलों में निःशुल्क लगाया जायेगा। एमआर टीके का इस्तेमाल दुनियाभर में पिछले 40 सालों से किया जा रहा है। भारत के अलावा विश्व के कई देशों में बच्चों की सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है। हमारे देश में निजी चिकित्सक एमआर/एमएमआर का टीका पिछले कई सालों से बच्चों को दे रहे हैं। दुनियाभर के 149 देशों में यह टीका दिया जा रहा है। सुरक्षित टीकाकरण के लिए अभियान शिक्षकों की उपस्थिति में किया जा रहा है। फिर भी माता पिता चाहें तो वहां मौजूद रह सकते हैं।
अभियान के दौरान वैसे बच्चों का टीकाकरण नहीं किया जायेगा, जिन्हें बुखार या गंभीर बीमारी हो। वहीं वैसे बच्चे जो जो अस्पताल में भर्ती हों या जिन्हें कभी इस टीके से गंभीर एलर्जी हो गयी थी वैसे बच्चों को टीका नहीं लगाया जायेगा। यह टीका स्कूलों में भी दिया जा रहा है क्योंकि इस आयु वर्ग के सभी बच्चे स्कूल जाते हैं और जो बच्चे स्कूल नहीं जाते उन्हें समुदाय में आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से टीकाकृत किया जायेगा। इस आयुवर्ग के सभी बच्चों को बिना लैंगिक, जातीय, साम्प्रदायिक या धार्मिक भेदभाव के टीका लगाया जायेगा।
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