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अमेरिका में हाशिये पर खड़ी एच-4 आबादी


शिकागो से मंजुला सिंह
शिकागो। भारतियों की नजर में अमेरिका सपनो का देश है। यहां आने वाले प्रवासी भारतीयों का सपना बेहतर जीवनशैली, ज्‍यादा से ज्‍यादा पैसा कमाने और अमेरिकी नागरिक बनने का होता है। हालांकि इसे सच में तब्‍दील करने की कहानी वर्षों चलती है। इस दौरान कहानी में सबसे ज्‍यादा डिपेंडेंट वीजा पर यहां आने वाली पत्नियां पिसती हैं।

ज्‍यादातर प्रवासी भारतीय एच1-बी या एल-1 वीजा पर यहां आते हैं। इन दोनों वीजा के तहत उन्‍हें अपनी बीबी-बच्‍चों को भी एच-4 या एल-2 वीजा पर अमेरिका लाने की इजाजत होती है। एच-4 और एल-2 वीजा परिवार को कानूनी रूप से अमेरिका में रहने देता है। हालांकि उन्‍हें काम करने की इजाजत नहीं होती है। ड्राईविंग लाईसेंस लेने या सामाजिक सुरक्षा लेने का अधिकार भी नहीं होता है।
ओबामा प्रशासन ने एच-4 वीजा वालों के लिए नया नियम बनाया था, जिसके तहत ऐसे वीजाधारक नौकरी कर सकते हैं। इसका सबसे अधिक फायदा उन भारतीय पत्नियों को हुआ, जो अपने पैरों पर खड़ा होने के योग्‍य हैं। जिनका अपने देश में एक सफल कैरियर होता था, पर डिपेंडेंट वीजा पर होने के कारण वे बस घर के दायरे में बंधकर रह गई हैं। ट्रंप सरकार जल्‍द ही एच-4 वीजाधारकों से काम का अधिकार छिनने वाली है।
प्रवासी भारतीयों के सपनों के इस दुनिया के पीछे का एक सच घरेलु हिंसा में ईजाफा भी है। पढ़ी-लिखी औरतें जब काम करने के अधिकार से वंचित हो जाती है तो पूरे तौर पर अपने पति पर निर्भर होती है। यहां तक कि वे घर का सामान भी नहीं खरीद सकती, क्‍योंकि उनके पास ड्राइविंग लाईसेंस नहीं होता है। उनकी दुनियां एक छोटे से अपार्टमेंट में बंधकर रह जाती है।

शिकागो में प्रवासी भारतीय महिलाओं के लिए काम कर रही समाज सेवी संस्‍था अपना घर’, ‘सखीऔर सारा सर्किलका कहना है कि कई घरों में पुरूष इन हालातों का पूरा फायदा उठाते हैं। क्‍योंकि उन्‍हें पता होता है कि अब बीबी पर पूरा अधिकार है। कई मामलों में तो उनके पासपोर्ट भी लॉक कर दिए जाते हैं, ताकि उनके पास कोई पहचान नहीं हो।
भारत से आई इन महिलाओं को यह ट्रेनिंग भी नहीं दी जाती है कि उनके साथ विदेशों में क्‍या-क्‍या हो सकता है। कैसे उसका सामना करना चाहिए। शिकागो की संस्‍था अपना घरघरेलु हिंसा की शिकार औरतों को रखने की जगह तो मुहैया कराती ही है, उन्‍हें रोजगार का अवसर भी देती है। अफसोस इस बात का है कि पढ़ी-लिखी औरतें भी अमेरिका से निकल जाने या बच्‍चों को खो देने के डर से घरेलु हिंसा के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोलती है।

ट्रंप सरकार ने फिलहाल एच-4 वीजाधारकों के लिए नियम में बदलाव को कुछ समय के लिए टाल दिया है, पर ये तय है कि नई सरकार में एच-4 वीजाधारकों को पहले जैसा अधिकार नहीं मिलेगा। यानी कई प्रवासी औरतें फिर से घर की चौहदी में बंधकर रह जाएगी।

3 comments:

  1. हर चमकती, छनकती चीज जैसे सोना नहीं होती उसी तरह अमेरिका जाने, बसने के सपने भी हमेशा खुशगवार नहीं होते। इस हकीकत को बखूबी बयान करती यह रिपोर्ट अमेरिका में बसने की चाह रखने वाले हर भारतीय की सोच को एक नई दृष्टि देती है।

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  3. हम औरतों को समान अधिकार देने की बातें करते है या दिखावे के लिए और वाहवाही लूटने के लिए ऐसा कहते है।। और रही Trump की बात तो उनके कुछ सिद्धान्त से यही प्रतीत होता है कि वो पिछड़ी जनजाति से भी पीछे के वर्ग के मनुष्य है, जो सबसे उन्नत देश के राष्ट्रपति होते हुए भी काम निम्न वर्ग से भी निम्न कार्य करते रहते है।। मुह में राम बगल में छुरी वाली कहावत Trump पर एकदम सही बैठती है।।

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